‘न सही
तुम्हारे दृश्य में
मैं कहीं
अंधेरों में सही.’
इस वर्ष के हिंदी के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नन्दकिशोर आचार्य का कविता संग्रह ‘छीलते हुए अपने को’ सम्मानित हुआ है. चौथे सप्तक के कवि नन्दकिशोर आचार्य के बारह कविता संग्रह, आठ नाटक, सात आलोचना पुस्तकें, और बारह सामजिक दार्शनिक पुस्तकें प्रकाशित हैं. उनके कवि-कर्म और काव्य-गंतव्य पर चर्चा शुरू होनी चाहिए. यह अवसर भी है.
आलोचक ओम निश्चल का यह आलेख इसी निमित्त प्रस्तुत है.