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रंग - राग : प्रभाकर बर्वे : अखिलेश































(पेंटिग : प्रभाकर बर्वे)
प्रभाकर बर्वे (1936- 1995)

प्रसिद्ध प्रतीकवादी अमूर्त चित्रकार प्रभाकर बर्वे ने अपने चाचा मूर्ति शिल्पकार वी. पी. करमारकर और फिल्मों से जुड़े अपने पिता से बहुत कुछ सीखा. जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स से स्नातक बर्वे की चित्रकला में बनारस के ‘तन्त्र’ (mysticism) का बहुत प्रभाव है. ‘कोरा कैनवस’ नाम से उनकी एक किताब भी मराठी में प्रकाशित है. ऑब्जेक्ट और स्पेस के आपसी सम्बन्धों पर उन्होंने चित्रकला के माध्यम से बहुत कार्य किया है. देश विदेश में उनकी तमाम एकल प्रदर्शनियाँ आयोजित हुई हैं. उन्हें ललित कला एकेडमी सम्मान आदि प्राप्त है.

चित्रकार अखिलेश जहाँ अपनी पेंटिग के लिए विख्यात हैं वहीँ अपने लेखन के लिए भी खूब सराहे जा रहे हैं. किसी पेंटर पर कोई पेंटर लिखे यह वैसे भी दुर्लभ है.


प्रभाकर बर्वे जैसे प्रतीकवादी चित्रकार पर लिखना दुरूह है. अखिलेश ने उनके प्रतीकों को लेकर यह प्रयोग किया है, जो खुद एक शानदार साहित्यिक अनुभव में बदल गया है.  



शीर्षक नहीं                         

अखिलेश 
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प्रभाकर बर्वे


पिछलेकईदिनोंसेटिक-टिकनेउसकाजीनाहरामकरदियाथा. घड़ीकीटिक-टिकसेबचतीहुईवोघूमरहीथीऔरटिक-टिकउसकापीछानहींछोड़रहीथी. सोते-जागते, उठते-बैठतेहरदमहरतरफबसटिक-टिक, टिक-टिक. इसीसेघबराकरवहइसबगीचेमेंगयीथीशायदयहाँचैनमिले. तबभीटिक-टिकनहींपीछानहींछोड़ा. पिछलेबरसउसकेमनमेंएकविचारआयाकिक्योंवहएककिताबमेंजाछिपेऔरजबसेवहकिताबढूँढ़रहीथीऔरकिताबथीकिखुदकिताबमेंछुपीथी. वहपेड़परचढ़नाचाहतीथीऔरपेड़कुछऊँचाथा. थोड़ाझुका-सा. पेड़परएकपत्ताथा. पत्तेकीपरछाईंभीजमींपरथी. दूर-दूरतककोईदिखाईदेरहाथा. खुदपरेशांकिकहाँगयीऔरकोईक्योंनहींमिलता? एकचिड़ियाथीऔरएकतितली. चिड़ियातितलीजैसीऔरबगीचाऐसाथाकिखालीमैदानखड़ाहैयारेगिस्तान.

वोस्वप्नमेंथीऔरयथार्थसरकरहाथा.

दूरकुछसीढ़ियाँदिखीं, वोदौड़करचढ़गयी. उसेभटकतेहुएकईबरसहोगएथे, प्याससेगलासूखरहाथा. सामनेकुआँहैऔरकुएँमेंपानीनहीं. उफ़कपरसूरजदीखरहाथाकिन्तुउसमेंआगनहीं. कुछकालाकुछनीलाठण्डासूरजचाँदभीनहींथा, उसेलगायहसूरजहीहै. कुछसूरजथाकुछसूरज-सा.

कईदिनोंसेयहाँकुछअजीबहोरहाथा. पहलेउसेडरलगाफिरउसनेदेखायहाँसबकुछहोताहैघटतानहीं. एकपरछाईचलतीहुईचलीगयीदूसरीउसकेपीछेउड़तीहुईआयीऔरफलकमेंजमगयी. बादलबकरीकासरलेकरउड़ाचलाजाताहैफिरलौटआताहै.

कभीउसेडरलगताथाकिकोईबन्दूककीगोलीआकरउसकेसीनेमेंरहनेलगे. फिलहालटिक-टिकसेभागरहीहूँकेख्यालनेउसकीघड़ीफिरचालूकरदी. वोसोचरहीथीऔरघड़ीचलरहीथी.

सामनेकुकुरमुत्तेसेपेड़एकक़तारमेंलगेसेथे, उनपरबैठीचिड़ियाकीछायाउड़रहीथी. लालटेनजलरहीथीऔरउसकाबुझा-प्रकाशफैलाहुआथा, उसकीकेउजालेमेंपत्तीऔरउसकीछायावहाँरहतीथी. अभीवहदेखहीरहीथीकिएकछोटेसेआदमीनेआकरदरवाज़ाखटखटाया. इसआदमीकीपरछाईभीसाथथीऔरहाथमेंएकस्लेटथीजिसपरदेवनागरीपरलिखाहुआथा. यहआदमीजहाँभीजाताउसकीपरछाईसाथजाती. रातमेंसाफ़औरगहरीदिखाईदेनेलगती. परछाईआदमीसेउपजीथीऔरबगैरप्रकाशकेरहती. जबकोईनहींहोतापरछाईकुछदेरआरामकरलेती. वहइतनीभारीथीकिहरवक्तजमींपरपड़ीहाँफतीरहतीऔरजबकोईपरछाईहोतबकुछहल्काहोउड़लेती. आदमीऔरपरछाईएकसाथपैदाहुए. वहसंसारकापहलाआदमीथाजोअपनीपरछाईलिएपैदाहुआ. जन्मसेहीइसछोटेआदमीकीपरछाईकुछज़्यादाबड़ीथी. वहनलपरपानीपीनेजानेकीहरवक्तसोचताऔरकभीनहींजापाता. बीच-बीचमेंकुछभेड़ेंइसदिशासेउसदिशातकचलीजातीऔरउनमेंसबसेछोटीभेड़हरवक्तभीड़केबीचअकेलीभेड़चालकोझुठलातीउलटीचलतीरहती. वहयथार्थअनुभवकररहीथीऔरसबकुछस्वप्न-साथा.

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पेंटिग : प्रभाकर बर्वे

दूरपहाड़कीपरछाईकेपीछेकाआसमाननीलाहोचलाहैऔरअबकुछभेड़ेंउसप्राचीननदीसेपानीपीनाचाहतीहै, जोअभी-अभीबहनाशुरूहुई. इसप्राचीनकालीनदीमेंकहीं-कहींखूनबहरहाहैऔरउसकाकालारंग गहरा हैनदीगहरीनहींहै. बहतीनदीकेनीचेजमचुकीसभ्यताएँदबी  हुईहैंऔरउनकीहड्डियोंभरेहाथयहाँ-वहाँझाँकतेरहते. उसकीबहतीहुईपरछाईऔरगहरी. यहनदीसमुद्रऔरआसमानसेमिलनेनहींजातीबसबहरहीहै.

वहींकिनारेएकआधाफटाकोराकैनवासअपनेफ्रेममेंजड़ापड़ाहैजिसकेसामनेएकसेवरखाहैमानोसेजाआकरइसीफलकाचित्रबनानेवालाहै. यहाँवानगॉगसीतूफानीहलचलनहींहैऔररोथकोकेठहरेरंगभीनहींदीखते. पासरखीपेन्सिलसेकुछनहींउकेराजासकतायहनसरीनकोपताहै. हुसैनकेआकाशकाविस्तारसँभालाहुआहै.

चलते-चलतेवहभैंसकेमुँहकेपासगयीथीऔरउसीकीपरछाईवालीसड़कपरचलनेलगी. इसबीचवहएककामकरचुकीथीजिसकानतीजाउसकेमनमाफिकनहींरहा. उसनेगुस्सेमेंघड़ीकामुँहकालाकरदियाथाऔरउसकेकाँटेभीघुमादियेकिन्तुटिक-टिकचलतीरही.

उसेलगाउसकेभरेभारीस्तनअबचिड़ियालेउड़ीहै. गहरेनीलेआकाशमेंवहभागकरअपनेस्तनवापसलेनाचाहतीहैऔरउसकाभारीभराभ्रमभागनेमेंमददनहींकरता. चिड़ियाचबैनेकीतरहउसकेस्तनलेभगी.

पासरखालैम्पबुझाहुआथाऔरउसीकीरोशनीमेंउसेएकशंखदिखाऔरउसीकीरोशनीमेंउसेएक शंदिखाजिसपरकुछनहींलिखाथा. उसकीउम्मीदअबटूटचुकीथी. कोराफटाकैनवासऔरउसकामटमैलारंगउसेभाया. तिकोना-साफटायाकटाकैनवासअपनीसूखीजंगलगीफ्रेममेंअटकाहुआथा. कुछरंगकेडब्बेउसेउदासनज़रोंसेदेखरहेथेऔरउसकेपीछेसेझाँकतेअपनेमेंमगनएकचेहरेनेउसेचौंकादिया. उसकेसामनेरखेचौकोरनेचमकादिया. वहहैरान-सीउन्हेंघूरतीचलीगयी.

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पेंटिग ; प्रभाकर बर्वे

सूखाकुम्हड़ाप्राचीननदीकेपानीसेऔरसूखरहाथा. उसकीपरछाईदूरएकखम्बेपरजाकरचिपकगयी. उसनेदेखापरछाईसेचेहरेकीएकऔरपरछाईनिकलीऔरदूसरेखम्बेपरजाचिपकी. वेखम्बेहिलगएऔरठीकरुकेरहनेकी कोशिश  मेंधराशायीहोखड़ेहोगए. अबउनपरउनकेधराशायीहोनेकेनिशानभीखड़ेथे. बेशरमपरछाईफिरभीचिपकीरहीऔरदूरकिसीमटकेकापानीबूँद-बूँदगिरनेलगा.

हरतरफकोहराछायाथासबसाफ़दिखाईदेरहाथागिरेहुएडब्बेऔरहवेलीकीपरछाई, गर्भवतीकेकहनेमेंहै. सीढ़ियाँकहाँखत्महोतीहैंयहसामनेथाऔरउसकीपरछाईसेउतरनउतारलीगयीथी. घड़ीकीपरछाईऔरजमेहुएपत्थरोंकादुःखपिघलेलोहेकीतरहजारमेंजमाहोरहाथा. कटीखिड़कियाँऔरडाकघरकीआधीसीलउसकेमनकोसांत्वनानहींदेसके. उसकामनभरेभीक्यों? आखिरकारउसकेस्तनचिड़ियालेजाचुकीहै. इसीघनघोरअँधेरेमेंउसनेकेरमरखाहुआदेखाहैऔरगोटेंनहींहैं, वेकीड़े-सीउनपरफिसलगयीहैंउसबुझीहुईचिमनीकेप्रकाश मेंउसेदीखरहाहै. आधाकालाचाँदजोसरपरचमकरहाथा.

पासहीरखेईज़लपरकुछनहींरखाथा. नंगाईज़लपीछेटिकीसारंगीनुमासेशरमायाहुआसामनेबिखरेडब्बोंसेमुखातिबथा. हवामेंअजवाइनकीमहकफैलरहीथी. उसेशर्मआयीबिनाभारीभरेस्तनोंकेवोकैसेइसजहाँसेउठसकतीहैभलेहीमीरतकीमीरकीयहग़ज़लसुनाईदेरहीहोदेखतोदिलसेजांसेउठताहै.

उसेदुःखयाशंखपरकुछलिखानहींहैऔरकालाचाँदभीबेवज़हबेशरमबेमुरव्वतनिकला.

वहभरआयीऔरउसेलगायहाँआयेकाफीसमयहोगयाहैअबतकमहकउसकेनथुनोंमेंभरचुकीथीऔरठीकइसवक्तटिकटिक शुरूहोगयी. घड़ीसेकमऔरघड़ीकीपरछाईसेज़्यादाटिक-टिकसुनाईदेरहीथी. उसनेउम्मीदसेदुनियाकोयानेअपनीपरछाइयोंकोदेखाकिक्यावेभीइसटिक-टिकसेपरेशाहैं? उसेअजीबलगाजबउसनेदेखावेनिश्चिन्तहोखेलखारहीथीऔरलगातारबड़ीहोरहीथी. उसनेउसआदमीकीपरछाईकोदेखावहझूलाझूलरहीथी. उसेशकहुआयेपरछाइयाँबहरीहैं. इन्हेंटिक-टिकनहींसुनाईदेतीहै. प्राचीननदीकापानीबगैरकुछकहेबहरहाथा. खूनभी. कालापनभी. पतियाँबेआवाज़गिरीजारहीहैंशांतसूरजबिलावजहजलाजारहाहै.

उसेबर्वेकीयादआयी. वहहड्डियोंसेभरीपहाड़कीनींवपरपहाड़खड़ाकरदेताथाऔरउसकीपरछाईमेंजानडालसोजाताथा. काशवोआजसाथहोताहैऔरइनपरछाइयोंकोसुनपाताकितनाकुछकहरहीहैंकिन्तुटिक-टिकनहींसुनरही. उसकीनज़रअपनेस्तनोंपरगयीजोअबमछलीबनतेजारहेथे, वेउसकेपासनहींथे, हीअबचिड़ियाकीचोंचमें, वेस्वतंत्रहोकरमछलीकारूपलेरहेथे. उसेअच्छालगनेलगाऔरकावड़केचारोंतरफअबतकसूखीघड़ियोंकाढेरलगचुकाथाकोईखालीथीकोईसिर्फ़आकारधरेथी. खालीघड़ीकेकाँटेखोजेंभीमिले. मछलीकेकाँटेमछलीकीतरहजमगएऔरइन्हेंखेल-खेलमेंरोकदियाहो. दूरखिलौनेकाचौदइइंचीघोड़ाअपनेपिछलेपैरोंपरखड़ाचिल्लारहाथा- गुलाबकेफूलकेपत्तेअंडकोश सेखिलेहैं.

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पेंटिग : प्रभाकर बर्वे

ऊपरआसमानमेंबरसातकाआवाराबादलभूराहुआजारहाहै. अबतकबोतलमेंलगीफनलसेपानीभराजाचुकाहैऔरस्वामीनाथनकीचिड़ियाअनन्तमेंउड़ानलेचुकीथी. उसनेचैनकीसाँसलीहीथीकिटिक-टिकसुनाईदी. वहघबराकरमिट्टीकेटीलेखोदनेलगी. वहछिपजानाचाहतीहैउनगहराइयोंमेंजहाँयेआवाज़पहुँचेउसकीउँगलियोंकिसीचीज़सेटकरायींउसनेआहिस्तासेउठालिया. वोनहींचाहतीकिटकराईचीज़सेअपनीउँगलियोंतुड़ाले. उसकेहाथमेंहाथकापंजाथाजोअबसिर्फ़हड्डियाँभरथा. वोअक्सरपुरानीसभ्यताओंकीखोजमेंखुदाईसेताज़ीस्वस्थहड्डियाँनिकाललियाकरतीहैं. इतनीताज़ीकिवेहाथमेंलेतेहीरेतसीबिखरजातीहैऔरउनमेंसेआबशारबहनिकलताहै.

इसबारसेवोज़रूरहैरानहुईकिउसनेतीनोंशिलालेखध्यानसेपढ़ेजिसपरकुछनहींलिखाथाऔरअबउसेतसल्लीथीकियहहाथउसीकाहै. इसचित्रमेंविदेशीहाथकाहोनाठीकनहींथा. चाहेवोपॉलक्लेकाहीक्योंहो? उसनेअपनाझोलाचश्माबेंचपररखाऔरअपनेआपखुलगयीउसकिताबकोउठालियाजिसकीजिल्दभारीथी. अबउसेचिन्तानहींथीकिउसकीचिताठीकसेजलसकेगी. वहसुलगनाचाहतीथीऔरकिताबकानामथाठीकसेकैसेजलें? वहपढ़पातीउसकेपहलेटूटेहुएखम्बेपररखापुतलाबोलउठा- ‘‘आकाशमेंएकबादलउसकाकालालेउड़ाहै’’ वहघबरागयीएकयहीकालातोबचाथावहभीछिनाजारहाहै? वोचीखीऔरउसबादलकेलिएलपकी. बादलभीकमथा. उसनेकालाबदललिया. वहभूराहोउड चला.  चाँदकालाहोमुस्कुरायाकावड़केपायेंकेकिनारेकालेहोगएईज़लकेछेदकालेयाचिड़ियाकासिर. छायाकालीऔरकालीभेड़सेवकालाऔरपुतलेकाकालालैम्पमेंतेलकीजगहभरगयाउसीवक्तमटकेकाकालापहाड़पासहीबहरहीप्राचीननदीमेंखूनकीतरहबहनेलगा. घड़ीकीटिक-टिकशाश्वतरही, वहधीरे-धीरेउसकीलयमेंमदहोश होनेलगी.

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अखिलेश 
हवाजैतूनकेतेलकीमहकफैलानेलगी. प्रभाकरबर्वेकीयादफ़िज़ामेंतैरगयी.
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अखिलेश 
भोपाल में रहते हैं. इंदौर के ललित कला सस्थान से डिग्री हासिल करने के बाद दस साल तक लगातार काले रंग में अमूर्त शैली में काम करते रहे. भारतीय समकालीन चित्रकला में अपनी एक खास अवधारणा रूप अध्यात्म के कारण खासे चर्चित और विवादित. देश-विदेश में अब तक उनकी कई एकल और समूह प्रदर्शनियां हो चुकी हैं. कुछ युवा और वरिष्ठ चित्रकारों की समूह प्रदर्शनियां क्यूरेट कर चुके हैं.
प्रकाशन :  
एक संवाद
आपबीती ( रूसी चित्रकार शागाल की आत्मकथा का अनुवाद)
अचम्भे का रोना
मकबूल ( हुसैन की जीवनी) आदि
56akhilesh@gmail.com

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