पूर्वा नरेशके निर्देशनमें मंचित नाटक ‘बंदिश :२० से २०००० हर्ट्ज’ ने कला मर्मज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसके रंगमंचीय, सामाजिक और राजनीतिक मन्तव्य पर रवींद्र त्रिपाठी का यह आलेख जिसमें लोककलाओं पर भी पर्याप्त चर्चा है.
क्यों लोक कलाओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है ? क्यों आज़ादी के तुरंत बात बाई (ओं ) जी की कला की नागरिकता दूसरे दर्जे की मान ली गयी ?
‘बंदिश’ के सांस्कृतिक गूढ़ार्थ
रवींद्र त्रिपाठी
`बंदिश’नाटकसंकेतकरताहैकिआजादीकीलड़ाईकेदौरानभारतकीऔरतोंमें, तवायफोंऔरगायिकाओंमेंभी, नएव्यक्तित्वनेआकारलेनाशुरूकिया. जयशंकरप्रसादकेशब्दोंमेंकहेंतोउनकोभीभारत`मधुमय़’देशलगनेलगा. लेकिनविडंबनादेखिए, स्वाधीन भारतमेंउनकीवोछोटी-सीहस्तीऔरभीछोटीकरदीगई. यह भारतकीआजादीकावहपहलूहैजिसेइतिहासमेंनपढ़ायाजाताहैऔरनलिखाजाताहै.
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पूर्वा नरेश |
बहुतकमऐसेनाटकहोतेहैंजोअपनेमेंकईतरहकेसांस्कृतिकगूढ़ार्थोंकोसमेटेरहतेहैं. पिछलेदिनोंआद्यमकेनाट्यसमारोहमेंदिल्लीकेकमानीसभागारमेंपूर्वानरेशकेनिर्देशनमेंहुआ`बंदिश’ ( 20 से 20हजारहर्ट्ज) एकऐसाहीनाटकथाजिसमेंसांस्कृतिकबहुस्तरीयताथी. योंइसकेनाममेंहीश्लेषहै. बंदिशकेदोनोंअर्थयहांहैं. संगीतमेंबंदिशरागकेअनुशासनकोकहतेहैंऔरआमबोलचालमेंबंदिशकामतलबरोकयाबंधनहै. चूंकिइसनाटककेकेंद्रमेंउत्तरभारतीयसंगीत औरउसकेसामाजिकपहलूसेसंबंधित कुछपेचीदगियों कोसामनेलाना हैइसलिएबंदिशनामकेसाथसंगीतवालापक्षउद्घाटितहोताहै. औरजिसतरहआजराष्ट्रीयसामाजिकजीवनमेंसोशलमीडियाकेउदयसेउग्रऔरउत्पातीमानसिकताकोप्रोत्साहनमिलरहाहैऔरउसकारणकलात्मकसर्जनात्मकतापरकईतरहकेअघोषितबंदिशेंभीलगरहेहैं. उसतरफभीयेनाटकइशाराकरताहै. संगीतकीबंदिशपरसामाजिक-राजनीतिक-प्रशासनिकबंदिशेंलगरहीहै. दोनोंबंदिशोंको`बंदिश’नामकायेनाटकरेखांकितकरताहै.
नाटककीशुरुआतइसप्रकरणसेहोतीकिभारतकीआजादीकेसत्तरसालकेमौकेपरएकनेताकेइलाकेमेंएकजलसाहैऔरउसमेंकुछगायकोंऔरगायिकाओंकोबुलायागयाहै. कुछकोसम्मानितकरनेकेलिएऔरकुछकोगानेकेलिए. इनमेंएकगायिकाचंपाबाईहैऔरदूसरीहैबेनीबाई. चंपाबाईनौंटंकीकीगायिकारहीहैऔरबेनीबाईऐसीतवायफजोशास्त्रीय-उपशास्त्रीयसंगीतगातीरहीहै. इसकार्यक्रममेंइन दोंनोंकोगानानहींहै. उनकासिर्फसम्मानहोनाहै. चंपाबाईगानाचाहतीहैलेकिनअधिकारीउसेरोकताहैऔरकहताहैकिपुरानेदौरकेलोककलाकारोंकोयहांकेगानेलिएनहींबुलायाहै, उनकासिर्फसम्मानहोगाऔरपैसेभीमिलेंगे. बेनीबाईखुदगानानहींचाहतीक्योंकिउसनेनहींगानेकीकसमबरसोंपहलेलेलीथी.
गानेकेलिएबाहरसेएकगायिकामौसमीऔरएकगायककबीरकोबुलायागयाहै. येआधुनिकसंगीतकारहैं. लेकिनकबीरकेसाथमुश्किल यह पैदाहोगईहैकिउसकागानापड़ोसीमुल्क से है (पाकिस्तानकानामनहींलियागयाहैलेकिनसंकेतउसीतरफहै)औरइसकारणसोशलमीडियामेंउसकेविरुद्धमुहिमचलपड़ीहै. अबअगरवोगाएतोप्रशासनकाचैनछिनजाएगाऔरहंगामाभीहोसकताहै. परकबीरइसकोलेकरज्यादापरेशाननहींहै. वहनहींगानेकादोगुनापारिश्रमिकमांगताहैऔरना-नुकुरकेबादप्रशासनइसकेलिएतैयारहोजाताहै. मौसमीकेसाथकठिनाईयह हैउसकेगानेकाट्रैकसामानकेसाथनहींआपायाहै. इसलिएवोगानहींसकती. कुछआधुनिकऔरलोकप्रियगायक(यागायिका) बिनाट्रैककेगानहींपाते. ऐसेमें कार्यक्रमकैसेहो? प्रशासनमुश्किलमेंहै. इसीमसलेपरपूरानाटककेंद्रितहै.
गानेकेलिएबाहरसेएकगायिकामौसमीऔरएकगायककबीरकोबुलायागयाहै. येआधुनिकसंगीतकारहैं. लेकिनकबीरकेसाथमुश्किल यह पैदाहोगईहैकिउसकागानापड़ोसीमुल्क से है (पाकिस्तानकानामनहींलियागयाहैलेकिनसंकेतउसीतरफहै)औरइसकारणसोशलमीडियामेंउसकेविरुद्धमुहिमचलपड़ीहै. अबअगरवोगाएतोप्रशासनकाचैनछिनजाएगाऔरहंगामाभीहोसकताहै. परकबीरइसकोलेकरज्यादापरेशाननहींहै. वहनहींगानेकादोगुनापारिश्रमिकमांगताहैऔरना-नुकुरकेबादप्रशासनइसकेलिएतैयारहोजाताहै. मौसमीकेसाथकठिनाईयह हैउसकेगानेकाट्रैकसामानकेसाथनहींआपायाहै. इसलिएवोगानहींसकती. कुछआधुनिकऔरलोकप्रियगायक(यागायिका) बिनाट्रैककेगानहींपाते. ऐसेमें कार्यक्रमकैसेहो? प्रशासनमुश्किलमेंहै. इसीमसलेपरपूरानाटककेंद्रितहै.
जैसेजैसेनाटकआगेबढ़ताहैवैसेवैसेकईसवालउभरतेहैंजोउत्तरभारतकेसांगीतिकइतिहाससेसम्बन्धित विमर्शकेहैं. जैसेयेकिसंगीतमेंआजादीकाक्यामतलबहै?आजादीकीलड़ाईमेंसंगीतऔरसंगीतकारोंकीक्याभूमिकाथी? औरआजादभारतमेंगायकोंऔरगायिकाओंकेसामनेक्याकठिनाइयांआरहीहैं? आखिरकबीरक्योंनहींगापारहाहै?हालांकिदेशमेंराजनैतिकआजादीबरकरारहैपरनएजमानेकेसोशलमीडियानेउसकीआजादीछीनलीहै. कलाकारभीड़तंत्रकाशिकारहोगयाहै. मौसमीसेसंबंधितपूराप्रसंगयह बताताहैकिआजकेगायक (यागायिकाएं) तकनीकऔर छविकेगुलामबनगएहैं? मौसमीकोलगताहैकिअगरउसनेबिनाट्रैककेगायातोएकतोउसकाएजेंटनाराजहोजाएगाऔरदूसरेउसकीछविकोधक्कालगेगाक्योंकिबिनाट्रैककेगानेसेआवाजऔरगायनकाप्रभावकमहोजाएगा. वहअपनीछविकेसाथकोईजोखममोलनहींलेनाचाहती. वहअपनेगलेपरनहींबल्कितकनीकपरनिर्भरहै. चंपाबाईगानेकेलिएहमेशातैयारहै, लेकिनउसेगानेसेरोकाजाताहैऔरमौसमी, जोबिनाट्रैककेगानेकेलिएतैयारनहींहै, सेबारबारअनुरोधकियाजाताहैकिवोकुछभीगादे. पुरानेऔरनएदौरकेसंगीतमेंकितनाबदलावआगयाहै, येसबयहांउद्घाटितहोताहै.
पूर्वानरेशनेनाटककोउनसवालोंसेजोड़दियाहैजोजिनकोलेकरसंगीतसमाजमेंचुप्पियांछाय़ींरहींऔरआजभीआजभीवेबरकरार हैं. बल्किकुछनईचुप्पियांपैदाहोगईहैं. संगीतकारोंकीबिरादरीमेंलोककलाकारोंऔरशास्त्रीयकलाकारोंकेबीचकैसेतनावरहेहैं;तवायफोंनेजिससंगीतपरंपराकोसुरक्षितरखाऔरआगेबढ़ाया, उनकोभीसामाजिकस्तरपरकिसतरहकेपूर्वग्रहोंकाशिकारहोनापड़ा;भारतीयरेडियोप्रसारणमेकिसतरहकेपूर्वग्रहयुक्तवाकयेहुएऔरकिसतरहहारमोनियमकोरेडियोसेलंबेसमयकेलिएबाहरहोनापड़ा- येऔरइनकेजैसेकईमसलेइसनाटकमेंआतेहैं.
बेनीबाईअपनेवक्तकीमशहूरगायिकारहीहैं. परवहखुदएकसामाजिक लांछन कीशिकारहै. वहऐसीतवायफहैजोबैठकोंमेंगातीहै. उसनेसंगीतकीएकपरंपराकोअक्षुण्णरखा है. परउसकेसाथआकाशवाणीप्रशासननेक्याकिया?नाटकमेंयह बतायाजातहैकि आकाशवाणीलखनऊनेसामनेकेदरवाजेसेबाइयोंकाप्रवेशवर्जितकरदियाथाऔरउनकेसामनेविकल्परखाथाकियातोवेशादीकरकेदेवीबनजाएंयानीविवाहिताहोजाए (उससमयकीज्यादातरविवाहिताएंअपनेनामकेबाददेवीलगातीथीं) याफिरबाईहीबनीरहेंऔरपीछेकेदरवाजेंसेआकाशवाणीकेंद्रमेंअंदरआएंऔरवहांसेबाहरजाएं. यानीकलाकीदुनियामेंबेनीबाईऔरदूसरीगायिकाएं रातोरातदूसरेदर्जेकीनागरिकबनगईं.
बेनीबाईकोजबयेबतायागयाकिवहसामनेकेदरवाजेसेआकाशवाणीकेदफ्तरयास्टूडयोंमेंनहींआसकती, तोउसीदिनउसनेतयकरलियाकिअबवहगानानहींगाएंगी. आजादभारतमेंउसकीसामाजिकहैसियत छीनलीजातीहै. नाटकमेंएकजगहआताहैजहांबेनीबाईयादकरतीहैकिकैसेबनारस(आजकेवाराणसी)में गांधीजीआएथेऔरसाथमेंएनीबेसेंटभीथीं. बेनीबाईभीकाशीहिंदूविश्वविद्यालय केउसजलसेमेंजानाचाहतीथीजहांयेकार्यक्रमहोनाथा. उसेलगताथाकिउसकोबुलायाआएगाक्योंतबकेबनारसमेंजबभीकोईकार्यक्रमहोताथाबेनीबाईकोनिमंत्रितकियाजाताथा, गानेकेलिए. लेकिनउसरातबुलावानहींआया. वह वहांतबभीजानाचाहतीथीभलेगानागानेकेलिएनकहाजाए. लेकिनबुलावानहींआया. फिरभीआजादीकीलड़ाईकाजोशऔरजज्बाउसकेभीतरबरकराररहा. एकबारजबउसकेसामनेहैदराबादकेनिजामनेशादीकाप्रस्तावरखा (यानीउसेनिजामकीकईबेगमोंमेंसेएकहोनाथा) तोउसेभीबाईनेठुकरादिया.
अपने वक्तकीइतनीखुद्दारऔरतऔरगायिकाआजादीकेबादकेभारतमेंबेहैसियतहोजातीहै. नाटकमेंबेनीबाईपूछतीनहींहैकिंतुयेसवालकानोंमेंगूंजतारहताहैकिआजादीनेउसेक्यादिया? यादेशकीआजादीनेउसकेसम्मानकोइसतरहध्वस्तक्योंकरदिया?
`बंदिश’नाटकसंकेतकरताहैकिआजादीकीलड़ाईकेदौरानभारतकीऔरतोंमें, तवायफोंऔरगायिकाओंमेंभी, नएव्यक्तित्वनेआकारलेनाशुरूकिया. जयशंकरप्रसादकेशब्दोंमेंकहेंतोउनकोभीभारत`मधुमय़’देशलगनेलगा. लेकिनविडंबनादेखिए, स्वाधीन भारतमेंउनकीवोछोटी-सीहस्तीऔरभीछोटीकरदीगई. यह भारतकीआजादीकावहपहलूहैजिसेइतिहासमेंनपढ़ायाजाताहैऔरनलिखाजाताहै.
प्रसंगवशयहांबतादियाजाएकिनाटकमेंजिसबेनीबाईकाजिक्रहैवहवास्तविकचरित्रथींऔरजबलपुरकेसांस्कृतिकजीवनमेंउनकीअपनीअहमियतथी. हालांकि`बंदिश’मेंबेनीबाईसेजुड़ेकईवाकयेकाल्पनिकहैंपरकुछवास्तविकप्रसंगभीहैं. कहाजाताहैकि बेनीबाईकोएकबार`शाहजहां’फिल्ममेंअभिनयकरनेकामौकाभीमिलरहाथामगरउन्होंनेयह प्रस्तावइसठुकरादियाथा. उनकोएचमवीमेंगानेकीरिकॉर्डिंगकरनेकाप्रस्तावदियालेकिनउन्होंनेइसबिनापरइसेठुकरादियाथाकियेगानेपानकीदुकानोंपरसुनेजातेहैं. यानीगानोंको आमलोगसुनेंयेबेनीबाईकोमंजूरनहींथा.
तस्वीरकादूसरापहलूभीहै. हालांकियह प्रसंगनाटकमेंनहींहैलेकिननौटंकीकेकलाकारोंकेलिएबेनीबाईकेमनमेंहिकारतकाभावरहा. संभवत: येकाल्पनिकप्रसंगहै. हालांकिनौटंकीकलाकारोंकेलिएबेनीबाईसरीखेसंगीतकारों केमनमेंजोपूर्वग्रहरहा हैंवह एकसामाजिकसच्चाईहै. लेकिनयेपूर्वग्रहसिर्फउसकेनहीं, बल्किमोटेतौरपर समाजकेताकतवरवर्गकेहैं.
एकआमधारणाहै (जोबनाईगईहैलेकिनअबस्वयंसिद्धलगतीहैकि) किनौटंकीएकलोककलाहै. इसलिएनौटंकीकेकलाकारकोभीलोककलाकारकादर्जादेनेकीपरिपाटीबनगई हैऔरउसकेकलाकारोंनेभीइसेमनहीमन स्वीकारकरलियाहै. यानीदूसरोंकीदीगईछविकेआत्मसातीकरणकामामलाहै. `लोककला’होनेकीवजहनौटंकीकादर्जाशास्त्रीयसंगीत-नृत्य, आधुनिकसंगीतयाआधुनिकनाटकसेनीचेहै. नौटंकीकेइतिहासकोदेखेंतोवहलोककलानहींबल्किआधुनिककलाहै. उत्तरप्रदेशमें नौटंकीकाउदयऔरउत्कर्षभारतीयआधुनिकताकाप्रथमचरणथा. दरअसलउसनेनाटकमेंव्यावसायिकताकाप्रवेशकरायाऔरउसकादंडभीउसेभोगनापड़ा. इसइतिहासमेंजानेकावक्तयहांनहींहैलेकिनइसतथ्यसेतोइनकारनहींकियाजासकताकिहजारोंकीसंख्यामेंलिखितनौटंकियांरहीहैं, फिरवोलोककलाकैसेहै?जिसविधामेंलिखितकीइतनीसमृद्धपरपंरारहीहैउसकीगणनालोककलाकेरूपमेंकैसेहुई, येअलगअध्ययनऔरविवेचन काविषयहै.
वेकौनथेजोनौटंकीकीपरिभाषागढ़रहेथेऔरउनकेपूर्वग्रहक्याथे? येसवालउठनेचाहिए. `बंदिश’नाटकइससवालकोनहींउठातापरउसतरफसोचनेकेविचार-सूत्रदेताहै. नौटंकीकेकेंद्रमेंगायकीरहीहै. (नृत्यभीउसकामहत्त्ववूर्णअंगरहा.) लेकिनशास्त्रीयगायकोंनेउसेअपनेबगलमेंबैठनेकीजगहनहींदी. शास्त्रीयसंगीतकारकुर्सीपर बैठारहाऔरनौटंकीवाला (यावाली) जमीनपर. शायदइसकाएककारणयह भीरहाकिनौटंकीकेस्टेजपरमहिलाएंभीआईं. हरपितृसत्तात्मकव्यवस्थाकीतरहभारतीयआधुनिकताकेप्रारंभिकदौरमेंजबमहिलाएंनौटंकीमेंआईतोउनकोमध्यवर्गनेसम्मानकेसाथनहींदेखा. (आकस्मिकनहींकि उत्तरभारतमेंनाटकोंमेंभीमहिलाएंभीदेरसेमंचपरआईं. परवहअलगइतिहासहै).
दूसराकारणशायदवहरहाजिसकीतरफजगदीशचंद्रमाथुरनेअपनीपुस्तक`परंपराशीलनाट्य’मेंसंकेतकियाहै. नौटंकीकेजोकलाकारथेउनमेंज्यादातरतथाकथितनिम्नजातियोंसेथे. औरउसकेगुणीऊंचीजातिकेऔरसंपन्न. मिजाजऔरव्यवहारमेंसामंती. यह यादरखनेकीबातहैकिएकलंबेसमयतकऔरतोंऔरबच्चोंकानौटंकीमेंप्रवेशवर्जितरहा. कारणयह बतायाजातारहाकिनौटंकीमें`अश्लीलता’होतीहै.लेकिनविश्लेषणकरेंतोयह तथ्यभीउजागरहोगाकिनौटंकीमेंअगरतथाकथितअश्लीलतारहीतोइसकारणभीउसमेंदर्शकोंकेरूपमेंऔरतोंऔरबच्चोंकाप्रवेशवर्जितरहा. क्याअगरऔरतेंऔरबच्चेभीलगातारनौटंकीदेखनेजातेतोक्याउसमेंयेतथाकथितअश्लीलताहोती?क्यानौंटंकीमें`अश्लीलता’ जारीऱखनाहीकुछलोगोंकानिहितस्वार्थनहींथा?
वेकौनथेजोनौटंकीकीपरिभाषागढ़रहेथेऔरउनकेपूर्वग्रहक्याथे? येसवालउठनेचाहिए. `बंदिश’नाटकइससवालकोनहींउठातापरउसतरफसोचनेकेविचार-सूत्रदेताहै.
दूसराकारणशायदवहरहाजिसकीतरफजगदीशचंद्रमाथुरनेअपनीपुस्तक`परंपराशीलनाट्य’मेंसंकेतकियाहै. नौटंकीकेजोकलाकारथेउनमेंज्यादातरतथाकथितनिम्नजातियोंसेथे. औरउसकेगुणीऊंचीजातिकेऔरसंपन्न. मिजाजऔरव्यवहारमेंसामंती. यह यादरखनेकीबातहैकिएकलंबेसमयतकऔरतोंऔरबच्चोंकानौटंकीमेंप्रवेशवर्जितरहा. कारणयह बतायाजातारहाकिनौटंकीमें`अश्लीलता’होतीहै.लेकिनविश्लेषणकरेंतोयह तथ्यभीउजागरहोगाकिनौटंकीमेंअगरतथाकथितअश्लीलतारहीतोइसकारणभीउसमेंदर्शकोंकेरूपमेंऔरतोंऔरबच्चोंकाप्रवेशवर्जितरहा. क्याअगरऔरतेंऔरबच्चेभीलगातारनौटंकीदेखनेजातेतोक्याउसमेंयेतथाकथितअश्लीलताहोती?क्यानौंटंकीमें`अश्लीलता’ जारीऱखनाहीकुछलोगोंकानिहितस्वार्थनहींथा?
नौटंकीकलाकारकलाकारतोरहा (यारही) लेकिनउसकीसामाजिकस्थितिसम्मानपूर्णनहींरही. हालांकिसंगीतकारोंको लेकरभीभारतीयसमाजमेंकुछपूर्वग्रहरहे. इसलिएमामलाजटिलहै. परंतुइतनातोकहाजासकताकिजिसनौटंकीनेउत्तरभारतीयसमाजकोफिल्मोंकेआगमनकेपहलेसबसेअधिकमनोरंजनदियाउसका कलाकारसमाजमेंदलित (य़हां`दलित’शब्दजातिसूचकनहींहै)स्थिति बनीरही. कुछअपवादहोसकतेहैंपरस्थितियहीरही. `बंदिश’नाटकमेंभीइसकीतरफहल्काइशाराहै. जिनचारकलाकारोंकोसमारोहमेंबुलायागयाहैउनमेंचंपाबाईसामाजिकरूपसेसबसेनीचेवालेपायदानपरहै. बाकीतीनोंसेगानेकेलिएअधिकारीकीतरफसेबारबारअनुरोधकियाजाताहैलेकिनउसकेचाहनेकेबादभीउसेगानेकाअवसरनहींदियाजाता. आखिरवोलोककलाकारजोठहरी!
चंपाबाईउसवाकयेकोयादकरतीहैजिसमेंवहकभीबेनीबाईसेकुछसीखनेगईथी. लेकिनबैठकमेंप्रवेशकरतेहीसुनाकिवो (बेनीबाई) उसकामजाकउड़ारहीहै. वोदरवाजेसेहीवापसलौटगई. लेकिनवहदंशउसकेभीतरबरकरारहै. नाटकमेंजबबेणीबाईगानाशुरूकरतीहै `जबमैंहोगईसोलहबरसकी..’और`सोलह’ शब्दकाजिसतरहउच्चारणकरतीहैउसमेंलोचनहींहै. चंपाबाईउसेटोकतीहैऔरअपनीतरहसे`जबमैंहोगईसोलहबरसकी...’गातीहैतोउसके`सोलह’केउच्चारणमेंजिसतरहकीमुदलताहैवहबेनीबाईकेगायनमेंनहींहै.
यहांयह ध्वनितहोताहैकिनौटंकीकीगायनशैलीमेंजोमृदुलताहै, वह शास्त्रीय-उपशास्त्रीयगायनकेपासयाबेनीबाईजिसतरहकीगायनशैलीकाप्रतिनिधित्वकररहीहै, उसकेपास नहींहै. नौटंकीकीगायकीकोलोक-रिझाऊघोषितकियाजातारहा. औरइसतरहउसकादर्जाकमकियाजातारहा. हालांकिसंगीत- साधनावहांभीथी, लेकिनशुद्धतावादियोंनेउससाधनाकोव्याकरणसम्मतनहींमाना. हालांकियहांयह ऩिष्कर्षनिकालनाउचितनहींहोगाकिशुद्धतावादियोंकेअपनेमानदंडोमेंकोईदोषथा. मगरयह तोमाननाहोगाकिजिसलोकप्रियकहतेहैंउसकीभीअपनीजगहहोतीहैऔरवह जगहसामाजिकस्तरपरकमतरनहींहोनीचाहिए. आजकेदौरमेंफिल्मीसंगीतवहीकररहाहैजिसेकभीनौटंकीकेसंगीतनेकियाथा. यह अच्छीबातहैकिफिल्मीसंगीतकोनौटंकी-संगीतकीतरहसमाजशास्त्रीयस्तरपरअवमूल्यितनहींहोनापड़रहाहै.
अभिनयकेबारेमेंथोड़ाजिक्रहोजाएतोबेहतरहो. यद्यपिइसनाटककेमूलमेंसंगीतहैफिरभीइसकेअभिनेताओंऔरअभिनेत्रियोंनेजोभूमिकाएंनिबाहींवेचुनीतीपूर्णथीं. कुछमुख्यअभिनेताओंकीचर्चाकरेंतो चंपाबाईकीभूमिकामेंअनुभाफतेहपुरियाथीं, बेनीबाईकीभूमिकामें निवेदिताभार्गव. इप्सिताचक्रवर्तीसिंहनेमौसमीऔरआवश्यकतानुसारयुवाचंपाबाईऔरयुवाबेनबाईकीभूमिकाएंनिभाईं. दानिशहुसैनमुन्नू केचरित्र मेंथे. मुन्नूउसतरहकाआद्यचरित्रहैजोपहलेहरपारंपरिकगायिका/तवायफकेयहांहोताथाऔरजोकलाकारतोनहींहोताथालेकिनउसकेबिनागायिकाकाकामनहींचलताथा. वहमैनेजरभीथा, मजदूरभी, सलाहकारभी, बॉडीगार्डभी. वहकईभूमिकाओंमेंहोताथा. स्वाभाविकथायह मुश्किलोंसेभराचरित्रथाऔरदानिशनेउसकोबेहतरीनढंगसेनिभाया. उनकेअभिनयमेंहास्यभीभरपूरथाऔरव्यंग्यकापुटभीथा.
अनुभाफतेपुरियाप्रशिक्षितवास्तुशिल्पीहैंऔरगातीभीहैं. चंपाबाईकीभूमिकामेंउन्होंनेउसकलाकारकीपीड़ाकोसामनेलायाजोतमामतरहकेलांछनोंकेबावजूदअपनेभीतरकेउत्साहकोबनाएरखसकी. चंपाकेचरित्रमेचुलबुलापनहैतोबेनीकेचरित्रमेंगांभीर्य. निवेदिताभार्गवनेउसगांभीर्यकीनिरंतरताआखिरतकबनाएरखी. औरइप्सितातोकईरंगोंमेंथी. वोमौसमीकीभूमिकामेंआजकीउसगायिकाकोसामनेलारहीथीजोपूरीतरहतकनीकपरनिर्भरहै. फिरउसनेचंपाबाईऔरबेनीबाई कीयुवावस्थाओंकेअलगअलगप्रसंगोंकोउनकेहीअंदाजमेंनिभाया. हालकेवर्षोंजोहिंदीरंगमंचपरअभिनेत्रियांअपनीप्रतिभामेंनिहितविविधताकोदिखातीरहीहैंउसमेंइप्सिताअग्रगण्यहैं.
नाटकजिसबिंदुपरसमाप्तहोताहैवहयह व्यंजितकरताहैचारोकलाकारअपनीअपनीतऱफसेआजादीपालेतेहैं. आखिरमेंचारोगातेहुएमंच सेजातेहैं. मौसमीयह नहींसोचतीकिउसकाट्रैकआयाहैयानहीं, कबीरइसकीपरवाहनहींकरताकिसोशलमीडियामेंउसकेबारेमेंक्याचलरहाहै, चंपाबाईकोअबकोईरोकनेवालानहींहैऔरबेनीबाईनेअपनीशपथतोड़दीहै. चारोअपनीअपनीतरहसेकलाकारकीआजादीकाजयघोषअपनेगानोंसेकरतेहैं.
नाटकमेंएकहल्की-सीअपरिपक्वराजनैतिकटिप्पणीभीहैजिसकोसंपादितकियाजानाचाहिए. मुन्नूएकस्थानपरकहताहैकि 1947 मेंभारतकोडोमिनियमस्टेटसमिलाथाऔरतबआजादीनहींमिलीथी. यहनजरियाइतिहाससम्मतनहींहै. भारतको 1947 मेंआजादीमिलीथीऔरवहसंपूर्णप्रभुतासंपन्नगणराज्यबनाथा 1950 में. लॉर्डमाउंटबेटनगवर्नरजनरलबनेभारतकेनेताओंकीसहमतिसे, नकिब्रितानीमहारानीकेआदेशसे. सत्ताहस्तांतरणकीएकप्रकियाहोतीहै, वहपूरीतरहरातोरातनहींहोता. इसकोलेकरभ्रममेंनहींरहनाचाहिए. वैसेभीमुन्नूकाएकाएकराजनैतिकपंडितमेंतब्दीलहोजानाबनावटीलगताहै.
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रवीन्द्रत्रिपाठी
tripathi.ravindra@gmail.com
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