बुकर पुरस्कार से सम्मानित ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ (१९९७) के दस साल बाद अरुंधति रॉय का दूसरा उपन्यास प्रकाशित हुआ है. – ‘दि मिनिस्ट्री ऑव अटमोस्ट हैप्पीनेस’. ज़ाहिर है इसकी खूब चर्चा है. कश्मीर पर आधारित इस उपन्यास के राजनीतिक मन्तव्य भी हैं.
हिंदी के चर्चित कथाकार चन्दन पाण्डेय ने इस उपन्यास को गम्भीरता से परखा है, एक वैचारिक संवाद आपको यहाँ मिलेगा.
दि मिनिस्ट्री ऑव अटमोस्ट हैप्पीनेस
ये शोर है कि देती नहीं कुछ सुनाई बात
चन्दन पाण्डेय