Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1573

श्रद्धासुमन : कमल जोशी





























यायावर, जीवट से भरे प्रसिद्ध फोटोग्राफर कमल जोशी की आत्महत्या की ख़बर पर यकीन नहीं हो रहा है.

उनसे कई मुलाकातें हैं. पहाड़ के जीवन को केंद्र में रखकर लिए गए उनके छाया चित्रों का संसार अद्भुत है. चमकीले चटख रंगों के उनके छाया चित्रों में निराशा का स्पर्श तक नहीं है. है तो विद्रूपता से संघर्ष की उर्जा है.

वह श्वास के रोग से पीड़ित जरुर थे पर इसे लिए दिए ही वह दुर्गम पहाड़ों की यात्राओं पर अक्सर होते थे. 

वह अकेले रहते थे पर अक्सर मैंने उन्हें लोगों के बीच पाया था. आस -पास के आयोजनों में उनका होना लगभग तय रहता था.

आख़िर कार ऐसा क्यों हो जाता है कि हमारे बीच का कोई एकदम असहाय  पड़ जाता है. ऐसे कौन से क्षण होते हैं कि खुद का होना ही भार बन जाता है.

सामाजिकता के ताने बाने में कहीं गांठ पड़ गयी है. जो निर्दोष है, मासूम है, वह आज अकेला पड़ गया है.

कमल जोशी आपके चित्र आपको जिंदा रखेंगे. भले ही हमने आप को मार दिया.


आपकी याद में आपके सब चाहने वाले.     


___________


फेसबुक पोस्ट पर उनका अंतिम छाया चित्र - innocence.....!
२९ जून २०१७







The Street View.
२६ मई २०१७ 





मेहनत से जीना जाना है,,
पत्थर को बिस्तर माना है.....







आदरणीय राजेंद्र धस्माना जी अनन्त यात्रा पर...! विनम्र श्रद्धांजलि ...
17 मई २०१७






Image may be NSFW.
Clik here to view.








ये पड़ाव...! कितने अपने से हैं ये अजनबी पड़ाव... .

१२ मई.
















चले भी आओ की कुछ दूर साथ चलें
कारवां सजाया है तेरे ख़्वाबों के सहारे.....





चुनाव के जो देखे हाल, ताई बोली खुले आम
साइड लगाओ नेताओं को, बीड़ी सुलगाओ और करो काम








चल पड़ी वो लोकतंत्र की तलाश में.
कहीं और कभी तो मिलेगा
वो अपने सही रंग रूप में...
एक मायना लिए ...हर एक के लिए...!




छोटी छोटी इच्छाए,
छोटी सी दुनिया..और चेहरा भर ख़ुशी.......






faith in the god that resides in nature......!







ऐसा घर हो न्यारा  






साला मैं तो साब बन गिया.....!
लोग मेरी उम्र में चेयर-मैन बनते हैं मैं "धराशायी"से बैड-मैन बन गया हूँ! ( No, not the type of bad man Gulsan Grover plays, I said Bed-man!)

Image may be NSFW.
Clik here to view.

चालीस साल से ज्यादा मेरा बिस्तर जमीन पर ही रहा. याने मैं "धरा-शायी"रहा. नैनीताल हो या दिल्ली या कोटद्वार, मैं अपना बिस्तर फर्श पर ही बिछाता रहा क्यों की इससे मुझे बहुत सुविधा रहती है. जगह के लिए बैड की सीमा से बंधना नहीं पड़ता. किताबें, दवाइयां, लैपटॉप, गमछा, पानी सब आसपास जमीन पर "एक हाथ की दूरी पर". हाथ बढाया और उठा लिया. कहीं से भी लौट कर आता और अपने जमीनी बिस्तर पर बड़ा आनंद रहता क्यों की अन्य जगहों पर पलंग में सोना होता (ट्रेकिंग के अलावा) !

पर इस चिकनगुनिया का ऐसा मरा की उसने मुझे मजबूर कर दिया. सुबह जमीन में बिछे बिस्तर से उठने में घुटनों में इतनी तकलीफ होने लगी है की डॉक्टर के सलाह पर बिस्तर जमीन से उठा कर बैड-बोक्स लाना पड़ गया है...! याने बैड -रूम में सच मुच का बैड आ गया. याने साहबी शुरू!

चिकनगुनिया रे ! तूने घुटने-कंधे का दर्द तो दिया...., पर साब भी बना दिया ...!
और हाँ, मेहमान जो आयेंगे वो अब भी जमीन पर लगे बिस्तर पर ही सोयेंगे अगर उनकी हालत मुझसे खराब हुई तो..

Kamal Joshi
December 14, 2016




अभी रास्ता लंबा भी है तो .......चलना ज़रूर है...









Morning Fog - Winter announces itself at Kotdwara/ Uttarakhand..










तेरे दामन में एक दुनिया बसा ली मैंने...
जिंदगी! हर सांस की कीमत पा ली मैंने..

(Ramgarh / prithawi niwaas)





जाऊं कहाँ बता ए दिल........!
27 फरवरी २०१७






_________________________________





कमल जोशी 
सम्पर्क:
अब यह संभव नहीं रहा.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 1573

Trending Articles