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भूमंडलोत्तर कहानी – १९ : अगिन असनान - आशुतोष : राकेश बिहारी

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समकालीन हिंदी कथा-साहित्य पर आधारित स्तम्भ –‘भूमंडलोत्तर कहानी’ के अंतर्गत आशुतोष की कहानी – ‘अगिन असनानकी विवेचना आप आज पढ़ेंगे.  यह कहानी सतीके बहाने समाज के उस हिंसक सच से आपका परिचय कराती है जिसपर व्यवस्था के सभी अंग पर्दा डालना चाहते हैं. युवा आलोचक राकेश बिहारी ने इस कहानी के सामाजिक, आर्थिक आयामों को ध्यान में रखते हुए इसका विश्लेषण किया है. यह स्तम्भ अब पूर्णता की ओर अग्रसर है और शीघ्र ही पुस्तकाकार प्रकाश्य है.




भूमंडलोत्तर कहानी  १९
गति और ठहराव की अभिसंधि पर निर्वासित  गांधी  की प्रतीक्षा

(संदर्भ: आशुतोष की कहानी अगिन असनान)





चनासमय (जनवरी-फरवरी, 2016) मेंप्रकाशितआशुतोषकीकहानीअगिनअसनानसेगुजरतेहुयेरामचन्द्रछत्रपतिकीयादलगातारबनीरहतीहै.रामचन्द्रछत्रपतिहरियाणाकेसिरसासेनिकलनेवालेअल्पज्ञातअखबारपूरासचकेसंपादकथे.डेरासच्चासौदाकेप्रमुखगुरमीतरामरहीमसिंहकोजेलकेसलाखोंकेपीछेपहुंचानेमेंउनकीऔरउनकेअखबारकीबड़ीभूमिकारहीहै.गौरतलबहैकिगुरमीतसिंहकीकरतूतोंकाखुलासाकरनेवालीखबरकेछपनेकेकुछदिनोंबादहीरामचन्द्रछत्रपतिकीहत्याकरदीगईथी.

टीआरपीकेतेजरफ्तारमीडिया-मानकोंकेबीचझूठ, सनसनीऔरअंधविश्वासकेव्यावसायिकमाहौलकीरचनाकरतेहुयेआमनागरिकोंकेसोचने-समझनेकीशक्तिऔरविवेककोक्षतिग्रस्तकरनेवालेसूचनासमयमेंमूल्योंऔरसरोकारोंकीबातकरनेवालेरामचन्द्रछत्रपतियोंकायहहश्रअबएकआमबातहोचुकीहै.ऐसेमेंअगिनअसनानसेगुजरतेहुयेइसकहानीकेएकपात्र  क्षेत्रीयपत्रकारकेलिएमनदुआओंसेभरारहताहै, जिसकेनामसेपहलीबारकिसीबड़ेअखबारमेंकोईखबरछ्पीथी.हालांकिउसपहलीखबरमेंसुनैनाकेसतीहोनेकीबातहीकहीगईथी, परबादमेंउसनेदो-एकऔरखोजीरिपोर्टप्रकाशितकरवाएथेजिसमेंसिर्फसुनैनादेवीसतीकांडपरकुछबुनियादीसवालउठाएगएथेबल्किउसमेंइसबातकेभीपर्याप्तसंकेतदियेगएथेकिसतीकांडकीतरहप्रचारितवहघटनादरअसलएकहत्याकांडथी.हालांकिसतीकांडभीएकतरहकीसांस्थानिकहत्याहीहोतीहै, जिसकेमहिमामन्डनकेलिएधर्म, परंपराआदिकाकुत्सितसहारालियाजाताहै.इसबातकोयहकहानीजिससंवेदनाकेसाथरेखांकितकरतीहै, उसेदेखतेहुयेदोमहत्वपूर्ण  प्रश्नसामनेआतेहैं.

पहलाप्रश्नउसधर्म-सत्ताऔरराजनैतिक-सत्ता  कीपरस्परपोषितसंरचनासेजुड़ाहुआहै, जहांकिसीहत्याकांडकोबाकायदाएकसांस्कृतिकअनुष्ठानकेरूपमेंस्थापितकरनेकीहरकवायदकीजातीहैतो  दूसराप्रश्नउसन्यायव्यवस्थासेजुड़ाहुआहैजोअपनेहरसंभवजतनसेसिर्फएकहत्याकांडकोसांस्कृतिकअनुष्ठानमेंतब्दीलकरदियेजानेकीजघन्यघटनाकीआधिकारिकपुष्टिकरतीहै, बल्किउसझूठकोविश्वसनीयताप्रदानकरनेकेलिएकिसीबेगुनाहतककोदोषीकरारदेनेमेंलेशमात्रभीसंकोचनहींकरतीहै.

इसतरहयहकहानीजितनीसुनैनाकीहै, उतनीहीउसकीअन्त्येष्टिकेसमयबाजाबजानेवालेबशरुदीन, लियाकत, रमईऔरझड़ेलाकीभीहै, जोबिनाकिसीदोषकेजांचकमिटीकीभेंटचढ़गए.परिस्थितियोंकीयहविद्रूपभयावहतारामचन्द्रछत्रपतियोंकीहत्यासेभीएककदमआगेकामामलाहै, जिसेआशुतोषअपनीइसकहानीमेंबखूबीपहचानतेहैं.किस्सागोईकेसहजशिल्पमेंरची-बुनीगईयहकहानीअलग-अलगसत्ताप्रतिष्ठानोंकेसूक्ष्मसंजालोंकेपरस्परसम्बन्धोंकोसमझनेकाएकजरूरीअवसरप्रदानकरतीहै.समाजकेहाशियेपरखड़ेदीनतमव्यक्तिकोउसकेनिवालेसेदूरकरनेवालेदूरगामीनिर्णयोंकोमजमेबाजीऔरगणेशजीकीसूंढकेबहानेशल्यचिकित्साकीवैज्ञानिकताकोवेद-पुराणोंमेंढूंढ़नेवालेप्रहसनोंकीआड़मेंछुपालेजानेकीशासकीयधूर्तताओंकेबीचविकासकाछद्ममॉडलरचनेमेंव्यस्तशाहोंऔरसाहबोंकेसांस्कृतिकराष्ट्रवादीलोकतन्त्रवालेसमयमेंइसकहानीकोबहुतगौरऔरधैर्यसेपढेजानेकीजरूरतहै.

लोरिककेज्येष्ठपुत्रमगरूकीपत्नीसुनैनाकीहत्या, जिसेभय, रहस्यऔरआस्थाकीखोलमेंलपेटकरएकदैवीघटनाकीतरहआरोपितकरदियागया, कीपृष्ठभूमिमेंलिखीगईयहकहानीएकसाथकईपरतोंऔरकोने-अंतरोंकोखोलती-खंगालतीचलतीहै.हमारेजेहनमेंपल-पल  दर्जहोरहीसूचनासमयकीतेजगतिकेबरक्सविकासकेठहरावकोयहकहानीजिससमय-बोधकेसाथपुनराविष्कृतकरतीहै, वहउल्लेखनीयहै.सबसेतेजऔरसबसेपहलेकीहोड़मेंएकदूसरेकोपीछेधकेलेनेकोआतुरमीडियाप्रसूतगतिधर्मिताकेबीचस्वप्नऔरविकासकीतमामअवधारणाएँकिसमुकामपरठहरीहुईहैंउसेसमझनेकेकईजरूरीउपक्रमइसकहानीमेंमौजूदहैं.साथही, श्रम, सौहार्दऔरसहकारकेसंयुक्तउद्यमकोपूंजीसंचयकीसांघातिकलिप्साकिसतरहछिन्न-भिन्नकरदेतीहै, उसेसमझनेकेभीकईसूत्रोंकापतायहकहानीदेतीहैं.भ्रष्टपूंजीऔरव्यवस्थाकाअवसरवादीगठजोड़गतिशीलतामेंपरिसीमितप्रगतिकामुखौटालगाकरजहांएकतरफधर्मभीरुताकेसुनियोजित  व्यवसाय  केलिएखाद-पानीसहेजनेकाकामकररहाहै, वहींदूसरीतरफलैंगिकपक्षपातकासनातनखेलभीजारीहै.यहकहानीपूंजी, व्यवस्थाऔरब्राह्मणवादीपितृसत्ताकेइसअपवित्रगठजोड़कोबिनाकिसीलागलपेटकेएक्सपोजकरतीहै.यहअनायासनहींहैकिसतीकांडकोहत्याकांडसाबितकरनेवालीखबरसेसबसेज्यादा  विचलितवह  बिल्डरहोताहैजिसनेबहावलपुरमेंउभरतेधार्मिकपर्यटनकाभविष्यदेखतेहुयेवहाँभरपूरनिवेशकियाथा.

इसबातपरभीगौरकियाजानाचाहिएकिउसबिल्डरकीनाराजगीबरास्ताउसबड़ेअखबारकेसंपादकउसपत्रकारकोनौकरीसेनिष्काषितकरनेतककासफरतयकरतीहै.धर्म, राजनीति,पूंजीऔरमीडियाकोसत्ताकेन्द्रमें  बदलकरइनसभीकीसंयुक्तऔरसुनियोजितरणनीतिकेतहतसमूचेलोकतन्त्रकोबंधकबनालेनेकीयहप्रक्रियाआजकेसमयकाबड़ासचहै.कार्यपालिकाऔरविधायिकामेंपतन  कीशुरुआततोसत्तरकेदशकसेहीदिखनेलगीथी, लेकिन  न्यायपालिकाऔरमीडियाकाभीउसीराहपरचलपड़नापिछलीसदीकेआखिरीदशकमेंखुलकरसामनेआयाहै.लोकतंत्रकेइनचारोंस्तंभोंकेआपसीटकरावऔरसांठगांठकेबीचधर्म-सताकीसक्रियभागीदारीसेबनापंचमेलभूमंडलोत्तरसमयकीखासविशेषताहैजिसेयहकहानीबहुतबारीकीसेउजागरकरतीहै.

गतिसूचना-सभ्यताकीपरिकल्पनाकेमूलमेंहैं.औद्योगिकक्रान्तिऔरसूचनाक्रान्तिकेबीचसमय, समाजऔरसभ्यताकेविभिन्नआयामों  मेंजोसबसेबड़ाअंतरआयाहै, वहगतिकाहीहै.तेजसम्प्रेषण, तेजआवागमन, तेजखबर, तेजजीवनशैली, तेजउत्पादन, तेजआपूर्ति, तेजउपकरण... तेजविशेषणसेयुक्तसंज्ञाऔरक्रियाओंकीइसअंतहीनफेहरिस्तमेंभूमंडलोत्तरसमयकीसामर्थ्यऔरसीमादोनोंहीनिहितहै.इसमेंकोईदोमतनहींकिगतिशीलताकीअवधारणानेसभ्यताऔरविकासकीरफ्तारकोतेजकरतेहुयेहमारेसमक्षसुविधाओंकेसंसारकीएकनईदुनियाकादरवाजाखोलदियाहै.लेकिनदौड़मेंपीछेछूटजानेवालोंकी  श्रृंखलागति आधारितसभ्यताकाएकऐसाअनिवार्यउपोत्पादहोतीहै, जिसकीसंख्यामुख्यउत्पादसेकहींज्यादाहोतीहै.नतीजतन, दौड़मेंअसफलयागतिकीअवधारणासेअनभिज्ञव्यक्तियाव्यक्ति-समूहएकऐसेहाशियेकानिर्माणकरतेहैं  जहांजीवनऔरसभ्यताकाविकासअतीतकेकिसीमुकामपरआकरठहरजाताहै.

अगिनअसनानकहानीइसलिएभीमहत्वपूर्णहैकियहइससमयकीदोनोंविशेषताओंगतिऔरठहरावकोसमानसंवेदनाकेसाथथाहतीहै.उल्लेखनीयहैकिबहावलपुरजोकहानीकामुख्यघटनास्थलहैअपनेजिलामुख्यालयसेकुछकिलोमीटरकीदूरीपरस्थितएकपंचायतहैजहांएकदंपत्तिकीहत्याकरकेफरारहोचुकेपरिवारकीखबरतीनदिनोंतककहींनहींछपतीप्रसारितहोतीहै.घटनाकेचौथेदिनएकक्षेत्रीयपत्रकारवहाँपहुंचताहैऔरपांचवेंदिनकीसुबहपहलीबारइसकीखबरछपतीहैऔरवहभीझूठी.न्यूजब्रेककरनेऔरसबसेपहलेपहुँचनेकीहोडकाशोरकरतेइसमीडिया-समयकायहसचहमारेसमयकीबड़ीविडम्बनाहै.गतिकेशोरकेबीचठहरावकासाक्षीयहकौनसासमाजहै? क्याडिजिटलऔरकैशलेसइंडियाकीचमकदारप्रस्तावनाकोयेनकेनप्रकारेणझूठे-सच्चेआंकड़ोंसेप्रतिपादितकरतीसत्ताओंकोभारतदेशमेंस्थितइनबहावलपुरोंकापता-ठिकानामालूमहै? गतिऔरठहरावकीअभिसंधिपरपल्लवितसबसेतेजकेदावों-प्रतिदावों  कानतीजायहहोताहैकिजिसगाँवकीघटनाचारदिनोंतकखबरभीबनसकीवहाँछठेदिनकीसुबहआरती-भजनकेसाथहोतीहै, सातवेंदिनसंसदमेंविपक्षीदलसरकारसेप्रश्नपूछलेताहै, आठवेंदिनबहावलपुरमेंपड़ोसीराज्योंसेश्रद्धालुआनेलगतेहैं, नवेंसेतेरहवेंदिनकेबीचतथाकथितसतीस्थानपरमेलालगजाताहै, चौदहवेंदिनएकअवकाशप्राप्तजजकीअध्यक्षतामेंसरकारजांचसमितिकागठनकरदेतीहै, सोलहवेंदिनतकवहसतीस्थानसिद्धपीठमेंबदलजाताहैऔरअठारहवेंदिनजांचसमितिकीरिपोर्टकेआधारपरसमाजकेहाशिएपरकिसीतरहगुजर-बसरकररहेचारनिरीहनिर्दोषलोगोंकोदोषीकरारदेकरजेलभेजदियाजाताहै.


गतिकेसमकालीनस्वरूपकाइससेबड़ाउदाहरणऔरक्याहोसकताहै? भूमंडलोत्तरसमयमेंफल-फूलरहेसबसेतेजकीस्पर्धाआजजिसतरहकामाहौलतैयारकररहीहैउसकेदोप्रत्यक्षप्रभावहमदेखसकतेहैं- एकलोककेमनमेंपलरहेसंदेहकोखारिजकरतेहुयेझूठकोहीसचकीतरहस्थापितकियाजानाऔरदूसरा, अपनेद्वारानिर्मितसचकेप्रभावकाएकऐसादबावक्षेत्रतैयारकरनाजिसकेअहातेमेंन्यायऔरनियंत्रणकीमहानसंस्थाएंभीसमर्पणकरदें.ठहरकरसोचनेकेसारेअवसरोंकोसोखकरसिर्फऔरसिर्फरफ्तारकोहीतमाममूल्योंमेंश्रेष्ठमानालेनेकाहीयहनतीजाहैकिबहावलपुरजैसेगाँवकीघटनाकेआगेजस्टिसडिलेड, जस्टिसडिनायडकासूत्रवाक्यभीअपनीअर्थवत्ताखोदेताहै.एकतरफगतिकीयहआक्रामकताऔरदूसरीतरफसभ्यताकाठहराव, जहांनपुंसकताकीबीमारीतथाकथितआधुनिकसमाजकेएकहिस्सेकोआजभीचिकित्सकोंकेबजायपंडितोंकेदरवाजेतकलेजातीहै, जहांसंतानोत्पत्तिहीस्त्रीकेअस्तित्वकाअकेलापहचानमानलियाजाताहै, जहांखानदानीसंपत्तिपरअनाधिकारआधिपत्यकीलालसाआजभीकिसीव्यक्तिकोअपनेहीपरिवारजनोंकीहत्याकीनृशंसनियतितकपहुँचजातीहै... ‘अगिनअसनानकहानीकामर्मगतिशीलताऔरठहरावकीसंयुक्तउपस्थितिसेउत्पन्नइन्हींविडंबनाओंकेउदघाटनमेंनिहितहै.


लोकतन्त्र  केचारोंस्तंभोंकेबीचकीसुनयोजितसाँठगाठ,जोअंततःलोकतन्त्रकीहत्याकरनेपरहीआमादाहै, कोउद्घाटितकरतीयहकहानीसंयुक्तपरिवार, उसकीजटिलताओं, उसकेटूटन, उसकेभीतरबनते-बिगड़तेस्त्री-पुरुषसम्बन्धोंकीसूक्ष्मताओंऔरपरंपरासेचलेरहेसम्बन्धोंकीरूढ़होचुकीपारस्परिकताओंकेबीचपारिवारिक-सामाजिकव्यवहारोंमेंहोरहेसूक्ष्मपरिवर्तनोंकोभीएकखासकिस्मकीभावप्रवणताकेसाथरेखांकितकरतीचलतीहै.पतिकेनपुंसकहोनेकेकारणबांझहोनेकेआरोपकादंशझेलतीसुनैनाकेभीतरपलरहेदुख, आक्रोश, अवसाद, औरममत्वकोआशुतोषएककुशलशिल्पीकीतरहरेशारेशाजोड़तेहैं.कुछेकअपवादोंकोंछोड़देंतोनारीमनकोसमझनेकीऐसीकोशिशइधरकेपुरुषकथाकारोंकीकहानियोंमेंअमूमननहींदिखती.लेकिनइसक्रममेंसुनैनाकेपतिमंगरुकेमानसिकभूगोलतककहानीकानहींपहुँचपानाखटकताहै.इसकाअंदाजाखुदलेखककोभीहैजिसकासंकेतकहानीमेंहीमौजूदहैबहावलपुरमेंधीरे-धीरेदबीजुबानसेहीसहीयहचर्चाआमहोगईथीकिमगरूनपुंसकहै.यहमगरूकोकैसीलगतीथीइसकेठीक-ठीकसाक्ष्यनहींमिलते.

इसबातपरगौरकियाजानाचाहिएकिसमयऔरसमाजमेंजोअप्रकटहैयानीनंगीआँखोंसेजिनयथार्थोंकोनहींदेखाजासकता, एकरचनाकारउसीकोतोअपनीरचनाओं  मेंप्रकटकरताहै.क्याहीअच्छाहोताकिआशुतोषइसतरहकीसफाईपेशकरनेकेबजाएमंगरुकेमनकीथाहलेनेकीकोशिशभीकरते.हाँ, यहाँइसबातकाभीजरूरजिक्रकियाजानाचाहिएकिऊपरसेबहुतहदतकपारंपरिकमूल्योंकेअहातेमें  खड़ीदिखनेकेबावजूदयहकहानीस्त्री-पुरुषकेपरस्परव्यवहारकीकईरूढ़ियोंकाप्रगतिशीलप्रतिलोमभीरचतीहै.मंगरूऔरसुनैनाकापरस्परसंबंधइसबातकासबसेबड़ाउदाहरणहै.अमूमनपितृसत्ताकेसंस्कारोंकेसाथपला-बढ़ापुरुषअपनीनपुंसकतासेवाकिफहोनेबादभीअपनीस्त्रीपररोबगाँठनेसेबाजनहींआता.लेकिनयहाँमंगरूकेव्यवहारमेंऐसेकोईसंकेतनहींमिलतेबल्किवहमनहीमनसुनैनाकेप्रतितमामसदाशयताओंसेभराहोनेकेबावजूदउसकीउपेक्षा, आक्रोशऔरअबोलेकोसहजस्वीकारलेताहै.उनदोनोंकेसम्बन्धोंकाव्याकरणतबबदलताहैजबतनावऔरआक्रोशसेभरीसुनैनाकोएकदिनमंगरुकेलिएअपनेउपेक्षाभावकाअहसासहोताहै.उसकेबादउनदोनोंकेबीचपरस्परप्रेम, सौहार्द्रऔरसाहचर्यकाएकऐसावातावरणनिर्मितहोताहै, जिसमेंपुरुषऔरस्त्रीमालिक-नौकरकीपितृसत्तात्मकआचार-संहिताकोनकारकरएकदूसरेकेसाथआत्मीयमित्रकीतरहपेशआतेहैं.

सुनैनाअपनेपतिकेमर्द (पुंसत्वकेलिहाजसे) होनेकेआगेउसकेबेहतरमनुष्यहोनेकोतरजीहदेतीहै.पितृसतात्मकमाहौलमेंपलेबढ़ेमंगरूकोअपनीपत्नीकेसखा  केरूपमेंविकसितकरआशुतोषनेएकऐसेआदर्शपुरुषकीसंरचनाकीहैजिसकासपनाहरस्त्रीकेमनमेंपलताहै.देहकेविरुद्धपरस्परसाहचर्यआधारितप्रेम, वंशबेलसींचनेकीपितृसत्तात्मकअवधारणाकेविरुद्धअपनीपत्नीकेभतीजेकोअपनावारिसबनानेकीअभिलाषारखनेकीउदारता... येकुछऐसेविरलसंयोगहैंजोमंगरूकोआमपुरुषोंसेअलगकरतेहैं.

पिछलेकुछवर्षोंमेंप्रकाशितकथाकृतियोंकीसंरचनापरगौरकरेंतोपाएंगेकिउपन्यासोंकीलंबाईजहांपहलेकीतुलनामेंकमहुईहैवहींआजकीकहानियाँअपनीपूर्ववर्तीकहानियोंकीतुलनामेंदीर्घहुईहैं.जिनकुछकथाकारोंनेअपनीसुदीर्घकहानियोंसेपाठको-आलोचकोंकाध्यानखींचाहै, उनमेंनिःसन्देहआशुतोषभीशामिलहैं.लंबीकहानियोंकीसफलतामेंजिनदोअवयवोकाखासयोगदानहोताहैवेहैंकिस्सागोईऔरवर्णनात्मकता.आशुतोषकीकहानियाँइनदोनोंहीमोर्चोंपरसमृद्धहैं.किस्सागोईऔरवर्णनात्मकताकेइससंयुक्तउपक्रममेंलोककीतरलउपस्थितिआशुतोषकीकहानियोंकोएकखासतरहकीपठनीयताप्रदानकरतीहै.इसबातकोरेखांकितकियाजानाचाहिएकिआशुतोषकीअन्यकहानियोंकीयेविशेषताएँअगिनअसनानमेंभीमौजूदहैं.

भूमंडलोत्तरकथापीढ़ीकीनिर्मितिपरजिनवरिष्ठकथाकारोंकीभाषा-शैलीकास्पष्टप्रभावदिखाताहै, उनमेंनिर्मलवर्मा, उदयप्रकाशऔरविनोदकुमारशुक्लप्रमुखहैं.बुन्देलीलोककीअलहदामौजूदगीऔरअपनेपात्रोंकोलेखकीयस्नेहऔरसंवेदनाकाउष्णस्पर्शदेनेकेकारणअलगहोनेकेबावजूदकथासूत्रऔरकथासमयकेबीचउल्लेखनीयआवाजाहीऔरलेखकीयउपस्थितियुक्तउदयप्रकाशीयकथाशैलीकाकुछप्रभावअगिनअसनानपरभीदेखाजासकताहै.इसक्रममेंकहानीकेलगभगउत्तरार्धमेंहत्याकांडकेअंतकेसंभावितविकल्पोंकीतलाशमेंलेखकीयउपस्थितिकहानीकेपाठमेंकुछअवरोधउपस्थितकरताहै, जिससेबचाजानाचाहिएथा.

अगिनअसनानजहांअपनीवर्णनात्मकताकेकारणविशिष्टहै, वहींइसकहानीकी  कुछसांकेतिकतायेँभीइसेउल्लेखनीयऔरबहुपरतीयबनातीहैं.जिनसहजसंकेतोंकेमाध्यमसेयहकहानीगांधीकोसुनियोजितरूपसेनिष्काषितकिएजानेकीसाजिशकीतरफइशाराकरतेहुयेउनकीपुनःवापसीकीजरूरतोंकोरेखांकितकरतीहैवहकलाऔरवैचारिकीकेसहजसंयोगकाविरलउदाहरणहै.उल्लेखकियाजानाचाहिएकिबशरुदीन, लियाकत, रमईऔरझड़ेला, जिन्हेंतेजन्यायव्यवस्थानेजेलभेजकरधार्मिकसत्ताऔरराजनैतिकसत्ताकीसाज़िशोंकोसांस्थानिकस्वीकृतिदिलाई, सुनैनादेवीकीअन्त्येष्टिकेसमयअपनेबाजेपरवैष्णवजनतोतेनेकहिएजेपीरपराईजानेरे...’ कीधुननिकालरहेथे.


‘वैष्णवजन’कीधुनबजानेवालेइनचारनिर्दोष, निरीहोंकोबंदीबनानासुनियोजिततरीकेसेगांधीकेविचारोंकोकालकोठारीमेंभेजदेनेकाप्रतीकहीतोहै.कहानीकेअंतमेंएकबुढ़ियाघूम-घूमकरलोगोंसेयहपूछतीहैकिकायमालिक, वैष्णवजन...’ गावेबारोहमाओडोकराकाबेहै.बुन्देलीमेंबूढ़ेकोडोकराकहतेहैं.इनपंक्तियोंतकआते-आतेयहकहानीजिसतरहगोडसेकेमन्दिरनिर्माणकोमौनसहमतिदेकरचरखाचलानेकाअभिनयकरतेहुयेहमारीस्मृतियोंसेगांधीकीउपस्थितिकोपोंछदेनेकीकुटिलसाजिशकरनेवालेसमकालीनसत्ताधीशोंकीराजनीतिकारूपकबनकरखड़ाहोजातीहैवहइसेएकमहत्वपूर्णऔरयादगारकहानीमेंबदलदेताहै.
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brakesh1110@gmail.com

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