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मंगलाचार : पंडित जसराज के लिए :























संगीत और कविता का पुराना नाता है. अक्सर ये दोनों एक दूसरे में इस तरह घुले मिले रहते हैं कि इन्हें अलगाना कठिन हो जाता है. कविताओं ने जहाँ निराकार संगीत को आकार दिया वहीँ संगीत ने कविताओं को सरस बना उन्हें अमरत्व प्रदान किया. तमाम कविताएँ (और ग़ज़लें आदि) लोक जीवन में इसी लिए बची हैं कि उन्हें गायन ने अपने लिए चुन लिया. भक्त कविओं की कविताओं के साथ उपयुक्त राग का भी साथ-साथ ज़िक्र रहता था.

रागों और संगीतकारों को लेकर भी कविताएँ लिखी जाती हैं. वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल के तो एक कविता संग्रह का नाम ही है –‘आवाज़ भी एक जगह है’ जिसमें अनेक संगीतकारों की कला से समाज के जटिल रिश्ते खुलते चलते हैं.

रंजनामिश्रा शास्त्रीय संगीत से लगाव रखती हैं और कविताएँ भी लिखती हैं. ये कविताएँ पंडितजसराजके गायन को केंद्र में रखकर लिखी गयी हैं. देखना यह है कि उस अनुभव को ये कविताएँ कहाँ तक व्यक्त कर सकी हैं.



पंडित जसराज केलिए                             
रंजना मिश्रा







(सा)

उजालेकेहोतेहैंनन्हेद्वीप
नन्हीकंदीलेंअपनेभीतरबसाए
क्याबसताहैतुम्हारेभीतर?





(रे)


यादहैमुझे
कईबरसपहलेभजगोविंदमसुनतेहुए
भीतरकहींकुछदरकगयाथा
रोशनीकीएककिरण
उसअंधेरीगुफातकजापहुँची
जहाँबैठाथा
ढेरसाराडर
कालेरंगकासंशय
औरगहराभूराअविश्वास
क्यावहदुखथापंडितजी?

अलगअलगमुखौटेलगाए
आत्माकेमुख्तलिफकोनोंमेंछिपा?

जीताजागता, साँसेलेता- तारसापरठहरादुख
जोनिऔरकोमलकीसीढ़ियाँउतरता
बहआयाथाआँखोंकेरास्ते
पिघलतेहैंविशालहिमखंडजैसे





( 


मैंबारबारलौटी
भटकतीरही
उनसुरोंकेइर्दगिर्द
अपनेदुखोंकामुआयनाकरती
जैसेभटकतेहैंहम
सूनेपवित्रखंडहरोंमें
जोअबरहनेलायकनहीं
नि, सानेसमझाया
दुखहीतोहै-
ठहरेगानहीदेरतक
किसीस्वरपर


चंचलप्रकृतिसिर्फ़लक्ष्मीकीनहींहोती
'
मेरोअल्लाहमेहरबान'केसाथ
मनदेरतकतिरतारहा
आश्वासनकीउंगलीथामे
औलियापीरपैगंबरध्यावे'केसाथसारेभ्रमरहगएपीछे


गोविंदमगोपालमसुनतेहुएजानाकि
मनतोआस्तिकहैनास्तिक
वहतरलहोताहै
औरढूंढताहैएकलय
जोउसेभरदे
अथाहसुखसे
मैदानोंमेंधीमीगतिसेबहतीनदियाँदेखीहैं?


()   

गोविंददामोदरमाधवेतिसुनतेहुए
कृष्णखड़ेहुएसामने
मैनेतोनहींदेखाकिसीमिथकीयकृष्णको
हीकोशिशकीउसकृष्णकोजाननेकी
जोप्रेमीसेयोद्धामेंबदलगया
परजबतुमगातेहो
तोप्रेमीकादुखऔरयोद्धाकीविवशता
मेरीकल्पनामेंएकाकारहोउठतेहैं

उसदिनजबआपनेगाया
पवित्रमपरमानंदम, त्वमवन्देपरवेश्वरम
तोमैंजानगई
अगरहोगाकहींपरमेश्वर
तोवहअपनीदुनियाआपकेसुरोंकेसहारेछोड़
आपकेसुरमंडलमेंडूबताउतराताहोगा
उठालीहोगीउसकीदुनियाआपकेसुरोंने
अपनेकाँधेपर


वैरागकारंगतोजोगियाहोताहैपंडितजी
वहकैसेसुरमेंगाताहै?



(प)  
आपकेस्वरकहतेहैं
सुखावसानमईदमएवसारम
दुखावसानमइदंएकध्येयम
सारेसुख, दुखकीयात्राकरतेहैं
औरसारेदुखलौटपड़तेहैं
सुखकेघर


येकैसासूत्रहैजो
मुझेमुक्तकरताहै
विशालऔरउदारकोइंगितकरताहै
ठीकतुम्हारेस्वरोंकीतरह?


कौनहैंआपपंडितजी
स्वर्गसेनिषकासितकोईगंधर्व
कोईसंतवैरागी
अपनेस्वरमेंउजालेबसाएजोघरघाटगाताफिरताहै
औरमनकोबारबार
पंचमकीस्थिरतातकलेआताहै


ठीकउसकृष्णकीतरहजिसनेयुद्धकेमैदानमेंअर्जुनकोगीतासमझाईथी.



( 

कौनसेदुखकीपोटलीछिपाएफिरतेहो?
कालिघाटकीप्रोतिमाक्याअबभीछुपीबैठीहैकहीं?
आपजानतेहैं
वेआपसेमिलनेआईथीं
विदानहींलेपाईं
बसचलीगईं
फिरलौटनहींपाईं


आपज़रूरजानतेहैं
पीड़ाकेकितनेसप्तककाफ़ीहोतेहैं
सुखकेएकक्षणकान्यासजीनेकेलिए
औरसुखअगरदेरतकठहरजाए
तोअनुवादीसेपहलेविवादीमेंक्योंबदलजाताहै


उसदिनजबदुखकेअतितारसेप्रोतिमाकाहाथथामकर
आपउन्हेंकीसाम्यावस्थातकलेआएथे
तोक्यावहउनकीनईयात्राकीशुरुआतथी?



(नि)

नहींजानतीआपकादुखमुझेखींचताहै
याउसकेपारजाकरस्वरोंमेंढूँढनाउसकासंधान


जानतीहूँतोबसइतनाही
जबतकरोशनीअपनासुरमंडललिए
बैठेगीमंचबीचोबीच
उज्ज्वलहोजाएगीयहधरती
सातोंआसमान
औरमेरामन


मैंआश्वस्तहूँ
किबारबारलौटूँगी
घनीभूतपीड़ाकेअंतहीनक्षणोंसे
तुम्हारेस्वरोंतक
अपनीहीराखसे
नयारूपधरकर.
_____________________

नोट: संगीतकीव्याकरणीयशब्दावलीकेकुछशब्दहैंइसकवितामें, वैसेवेहिन्दीकेशब्दहीहैंऔरउनकामतलबभीकमोबेशवहीरहताहैजैसे
सप्तक-सातस्वरोंकाएकसप्तकहोताहै.
अनुवादी - रागकीसुंदरताबढ़ानेकेलिएअल्पमात्रामेंप्रयुक्तस्वर
विवादी - रागमेंजिसस्वरकेप्रयोगसेविवादउत्पन्नहोजाए
न्यास - ठहराव, हररागमेंठहरनेकेकुछनिश्चितस्वरहोतेहैं, उन्हेंन्यासकेस्वरकहतेहैं.
तारसा - मध्यसप्तककीसा, जहाँसेक्रमशःस्वरऊँचेहोतेजातेहैं.
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अतितार - तीसरेसप्तककीसा. अपनीजगहनहींछोड़ता, साकीतरह - इसलिएइन्हेंस्थिरस्वरकहतेहैं
______________________

रंजनामिश्रा
शिक्षावाणिज्यऔरशास्त्रीयसंगीतमें.
आकाशवाणी, पुणेसेसंबद्ध.

कथादेशमेंयात्रासंस्मरण, इंडियामैग, बिंदीबॉटम (अँग्रेज़ी) मेंनिबंध/रचनाएँप्रकाशित, प्रतिलिपिकवितासम्मान (समीक्षकोंकीपसंद) २०१७.  
ranjanamisra4@gmail.com


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