Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1573

सहजि सहजि गुन रमैं : अविनाश मिश्र


पेंटिंग : Tyeb Mehta
AND BEHIND ME DESOLATION


अविनाश मिश्र अपने पद्य और गद्य दोनों से लगातार ध्यान खींच रहे हैं. उनके लिखे की प्रतीक्षा रहती है. उनकी भाषा में बिलकुल समकालीन ताजगी है. भारतीय काव्य-परम्परा में नायक – नायिकाओं के अनेक भेद निर्धारित हैं. नायिकाओं के वर्गीकरण में वय और रूप पर अधिक बल है. हिंदी का यह युवा कवि अपनी परम्परा में समावेश करता हुआ एक ऐसे वर्गीकरण पर पहुंचता है जो सोच और बर्ताव पर आधारित है. जहाँ ‘देह पर नाखूनोंऔरदांतोंकेदाग’ के अनेक निशान हैं. पर ये कवितायेँ एकतरफा बचाव नहीं करतीं. इनमें हमारे जीवन की ही तरह तमाम विवादी स्वर हैं. अगर ये कविताएँ राजनीतिक रूप से सही नहीं लगीं तो यह सहज संभाव्य है.   



कवितायेँ  
दसउच्छ्वास                       
अविनाशमिश्र




।।असूर्यम्पश्या ।।
जन्म : 1960

प्रतिस्पर्द्धाकोतुमनेपराजितकिया
लेकिनप्रतिभासेनहीं
तुम्हारीकवितासेज्यादाप्रासंगिकथास्वरतुम्हारा
तुम्हारीदेहमेंपौरुषथाऔरतुम्हारेविचारोंमेंभी
तुमस्त्रीनहींलगतीथीं
तुमकवयित्रीनहींलगतीथीं 
***




।।प्रगल्भा।।
जन्म : 1970

तुममेंबसनाप्रचलितमेंबसनाथा
प्रचलित था पाखंड  
प्रचलितथाअहंकार
प्रचलितथाद्वेष
प्रचलितथाछल
तुमसेबचनाप्रचलितसेबचनाथा
***





।।क्षमाशीला।।
जन्म : 1980

तुम्हारेव्यक्तित्वकेआगेनिष्प्रभथीतुम्हारीकविता
तुमकवयित्रीनहींदेवीथीं
प्रेमकोनहींपूजन  कोउत्तेजितकरतीहुईं 
जिन्होंनेतुम्हेंमैलाकिया
डालदियाअपनासाराकलुषतुमपर
अपनीकल्पनाओंमेंनाखूनोंऔरदांतोंकेदागछोड़ेतुम्हारीदेहपर
तुमनेउन्हेंक्षमाकियायथार्थमें 
तुमपृथ्वीथीं
***





।।लज्जाप्रिया।।
जन्म : 1985

जब-जबतुमसेमांगीगईकविता
तुम्हेंलाजआई
जैसेतुम्हारीदेहतुमसेमांगीजारहीहो
तुम्हारामाननाथाएकस्त्रीकेलिएउसकीकविता
उसकीदेहजैसीहोतीहै
एकबारअगरदेदीतोअपनीनहींरहती
***






।।आक्रामिका।।
जन्म : 1990

तुम्हारीकवितापढ़करलगताथा
तुमचाहतीहोकाटनाकिसीपुरुषकेहोंठ
औरप्रतिकारमेंचाहतीहोअपनेस्तनोंपरदंतक्षत
***





।।रूपगर्विता।।
जन्म : 1992

सबतुम्हारीकवितासेप्रेमकरतेथे
एकभीआस्वादकथायूं 
जिसनेतुम्हेंमहानमानाहो
एकभाषाकीसमग्रसमालोचनानतमस्तकथी
तुम्हारीकविताओंकेआगे 
लेकिनतुम्हेंआलोचकनहींआईनेपसंदथे
***





।।अभिसारिका।।
जन्म : 1994

तुम्हारीकवितापढ़करतुम्हारीकामनाउठतीथी
हृदय स्पर्शकोव्याकुलहोताथा
लेकिनतुम्हारासंसारइनकामनाओंकेबाहरथा
उतनाहीअंतर्मुखजितनासम्मुख 
तुमजिससेवादाकरतीथीं
उससेनहींमिलतीथीं
***





।।मानवती।।
जन्म : 1996

तुम्हारीकविताकोमनानापड़ताथा
तबवहसुंदरलगतीथी
वहशिल्पनहींथाउसका
किरूठतीतोसुंदरलगती
***





।।समर्पिता।।
जन्म : 1998

अनुभवकीअसमृद्धतानेतुम्हेंसमर्पणमेंदक्षकिया 
रुकजातींकुछवर्षऔरतोकवितामेंदक्षहोतीं
*** 
Image may be NSFW.
Clik here to view.
फोटो : Sushil Krishnet
   




।।निर्लज्जप्रिया।।
जन्म : 2000

तुमसेमिलकरभीतरकुछखिलताथा
बाहरफैलताथाअपवाद...
***


___________________
परिचय :
युवा कवि-आलोचक. प्रतिष्ठित प्रकाशन माध्यमों पर रचनाएं प्रकाशित और चर्चित.
न कोई किताब, न कोई पुरस्कार. 'पाखी'में कार्यरत.
darasaldelhi@gmail.com
____________
कुछ कविताएँ यहाँ  पढ़ें और  आलेख भी.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 1573

Trending Articles