“Memory revises me.”
Li-Young Lee
समकालीन महत्वपूर्ण कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के अंतर्गत ‘आशुतोष दुबे’, ‘अनिरुद्ध उमट’, ‘रुस्तम’, ‘कृष्ण कल्पित’ और ‘अम्बर पाण्डेय’ को आपने पढ़ा. इस अंक में प्रस्तुत हैं संजय कुंदन.
संजय कुंदन का चौथा कविता संग्रह ‘तनी हुई रस्सी पर’ अभी हाल ही में ‘सेतु प्रकाशन’ से प्रकाशित हुआ है. संजय का एक कथा-संग्रह और उपन्यास भी प्रकाशित है. उन्हें कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल सम्मान, हेमंत स्मृति सम्मान तथा विद्यापति पुरस्कार भी मिला है. उनकी कविताओं के अंग्रेजी के अलावा भारतीय भाषाओँ में अनुवाद हुए हैं.
संजय साहित्य की दुनिया में एक सहज उपस्थिति हैं, उनकी कविताएँ विद्रूपता, विडम्बना पर अक्सर व्यंग्यात्मक रुख़ अख्तियार करती हैं. समकालीन मनुष्य की विवशता का जिस तरह से दारुण विस्तार हुआ है उसका कुछ पता आपको ये कविताएँ देतीं हैं.
आइये जानते हैं कि संजय कुंदन कविताएँ क्यों लिखते हैं और उनकी कविताएँ क्या करती हैं.
मैं क्यों लिखता हूं
वर्णमाला सीखने के साथ ही मेरा लेखन भी शुरू हो गया. शायद इसलिए कि घर का माहौल साहित्यिक था. साहित्य रचना लिखने-पढ़ने का ही हिस्सा था. जिस तरह बच्चे पहाड़ा या कविताएं रटते और सीखते हैं, ठीक उसी तरह मैंने कहानी-कविता लिखना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे यह मेरे स्वभाव का हिस्सा हो गया. साहित्य की स्थिति मेरे जीवन में एक मित्र जैसी हो गई. यह मेरे एकांत का साथी बन गया. यह एक तरह से प्रति संसार बन गया.
मैं अपने मूल जीवन में अपने को थोड़ा मिसफिट मानता रहा. इस जीवन के संघर्ष में लेखन से मुझे ताकत मिली है. लेखन मेरे लिए एक शैडो लाइफ है जहां मैं अपना गुस्सा, अपनी खीझ उतार सकता हूं. मैं ठठाकर हंस सकता हूं उन सब पर, जिन पर वास्तविक जीवन में नहीं हंस पाता, या खुद अपने आप पर. मेरे भीतर बहुत ज्यादा नफरत है, बहुत ज्यादा गुस्सा है. उन सबको लेखन में ही उतारता रहता हूं. अगर ऐसा न करूं तो मेरे भीतर की घृणा मुझे नष्ट कर डालेगी. इसलिए मैं हमेशा रचनारत रहना चाहता हूं. ईमानदार और सहज लोगों के प्रति मेरे मन में गहरा लगाव है. मैं वैसे चरित्रों की रचना कर, उनके संघर्ष की कथा कहकर एक संतोष पाता हूं.
दरअसल इस तरह मैं अपनी जिंदगी को ही फिर से रचता हूं. यह पुनर्रचना मुझे एक संतोष देती है. मुझे जो कहना होता है वह मैं साफ-साफ कहता हूं. यह वह भाषा है, जिससे मैं खुद से बात करता हूं. मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि यह समकालीन कविता की भाषा है या नहीं. मेरी कविताएं, कविता की कसौटी पर खरी उतरती है या नहीं, यह भी मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है. साहित्य से मुझे जो पाना है, उसका संबंध मेरे आंतरिक जीवन से है, बाह्य जीवन से नहीं. साहित्य की वजह से ही मैं जीवित हूं, इससे ज्यादा और क्या चाहिए!
मेरा सरोकार साहित्य से है, साहित्य संसार से नहीं. हां, यह उत्सुकता मेरे भीतर जरूर रहती है कि यथार्थ की पुनर्रचना के जरिए मैं किसी को अपने समय को समझने में मदद कर पा रहा हूं या नहीं? अगर ऐसा थोड़ा-बहुत भी हो रहा है तो यह मेरे लेखन की सार्थकता है. यानी मेरा लिखना मुझे ही नहीं कुछ और लोगों के भी काम आए. बस इसीलिए मैं अपनी कविताओं के प्रकाशन में रुचि लेता हूं.
राजनीति मेरे लिए बेहद अहम है क्योंकि यह सामाजिक जीवन की जटिलता और विभिन्न स्तरों पर चल रहे संघर्षों को समझने का एक सूत्र देती है. इसी के जरिए मानवीय शोषण के विविध रूपों को भी पहचानने का अवसर मिलता है. एक बेहतर जीवन की खोज की लड़ाई एक राजनीतिक लड़ाई भी है. इसलिए मेरी कविताएं राजनीति के विविध स्तरों को उद्घाटित करने का भी काम करती हैं. शोषकों को बेनकाब करते हुए मैं शोषित आम आदमी के संघर्ष को आगे बढ़ाने की कोशिस करता हूं. यह काम मैं सामान्य जीवन में नहीं कर पाता. संभव है कभी भविष्य में करूं भी, लेकिन मेरी यह इच्छा फिलहाल कविता के माध्यम से पूरी हो रही है. इस दृष्टि से भी मेरा लेखन मेरे लिए महत्वपूर्ण है.
क वि ता एँ
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मेरापता
अपनापताकोईठीक-ठीककैसेबतासकताहै
अबयहपूरीतरहसचथोड़ेहीहैकि
मैंकिसीएकशहरकेकिसीमोहल्लेके
किसीफ्लैटमेंरहताहूं
औरयहभीसचकहांहैकिमैंकिसीदफ्तरमेंरहताहूं
आठसेदसघंटेरोजाना
कुछजगहोंपरहमेशाकिसीकापायाजाना
वहांउसकारहनानहींहै
मैंबार-बारवहींचलाजाताहूं
जहांरहनाचाहताहूं
भलेहीकोईमुझेकिसीबसस्टैंडपरखड़ादेखेया
किसीबहुमंजिलीइमारतकी
एकछोटीकोठरीमेंदूसरेकादियाहुआकामकरते
अपनीमर्जीकीजगहपररहना
एकतनीहुईरस्सीपरचलनेसेकमनहींहै
अगरमैंकहूंकिएकरस्सीहैमेरापतातो
यहगलतनहींहोगापर
ऐसाकौनहैजोमुझेवहांमिलेगा
मिलनेवालेसुविधाजनकजगहपरमिलनाचाहतेहैं
मैंउनसेकभीनहींमिलता
जोइसलिएमिलतेहैंकि
मुझसेमिलाकररखसकें
उनसेहाथमिलातेहुए
असलमेंमैंउनकाहाथझटकरहाहोताहूं
जबवेअपनीबनावटीहंसी
मेरीओरफेंकरहेहोतेहैं
मैंउनसेबहुतदूरनिकलचुकाहोताहूं
अपनेअड्डेकीओर.
दासता
दासताकेपक्षमेंदलीलेंबढ़तीजारहीथीं
अबजोरइसबातपरथाकि
इसेसमझदारी, बुद्धिमानीयाव्यावहारिकताकहाजाए
जैसेकोईनौजवानअपनेनियंताकेप्रलापपर
अभिभूतहोकरतालीबजाताथा
तोकहाजाताथा
लड़कासमझदारहै
कुछलोगजबयहलिखकरदेदेतेथेकि
वेवेतनकेलिएकामनहींकरते
तोउनकेइसलिखितझूठपरकहाजाताथा
किउन्होंनेव्यावहारिककदमउठाया
अबशपथपूर्वकघोषणाकीजारहीथी
किहमनेअपनीमर्जीसेदासतास्वीकारकीहै
औरयहजोहमारानियंताहै
उसकेपासहमींगएथेकहनेकि
हमेंमंजूरहैदासता
हमखुशी-खुशीदासबननाचाहेंगे
ऐसालिखवालेनेकेबाद
नियंतानिश्चिंतहोजाताथाऔरभारमुक्त.
अबबेहतरदासबननेकीहोड़लगीथी
एकबारदासबनजानेकेबादभी
कुछलोगअपनेमनकेपन्नोंपर
कईकरारकरतेरहतेथे
जैसेएकबांसुरीवादकतयकरताथाकि
वहअगलेपचासवर्षोंकेलिए
अपनीबांसुरीकिसीतहखानेमेंछुपादेगा
कईकविअपनीकविताएंस्थगितकरदेतेथे
येलोगसमझनहींपातेथेकि
आखिरदासतासेलड़ाईकाइतिहास
क्योंढोयाजारहाहै
औरशहीदोंकीमूर्तियांदेखकर
उन्हेंहैरतहोतीथीकि
कोईइतनीसीबातपरजानकैसेदेसकताहै!
निवेशक
वहमुझेएकगुल्लकसमझताहै
औररोजअपनानमस्कारमुझमेंडालदेताहै
वहएकदिनसूदसहितअपनेसारेनमस्कार
मुझसेवसूललेगा
उसकेलिएअभिवादनभीनिवेशहै
औरधन्यवादभी
किसीकेबालोंकीतारीफ
वहयूंहीनहींकरता
किसीकीकमीजकोअद्भुतबतातेहुए
वहअंदाजालगा रहाहोताहैकि
वहकितनेलाखकाआदमीहै
वहअपनीमुस्कराहटकापूराहिसाबरखताहै
जबकिसीकीमिजाजपुर्सीकेलिए
गुलदस्ताऔरफलोंकीटोकरीलिए
वहजारहाहोताहै
उसकेभीतरअगलेपांचवर्षोंकीयोजना
आकारलेरहीहोताहै
वहसोचरहाहोताहैकिइसबीमारव्यक्तिसेकहां
कब-कबक्याकामनिकालाजासकताहै.
ताकत
ताकतअबऔरताकतवरहोतीजारहीथी
अबवेदिनगएजबएकनंगाफकीरदुत्कारदेताथा
एकविजेताको
अबविजेतासंतोंकीटोलीलेकरसाथचलताथा
जोउसकीजय-जयकारकरतीरहतीथी,
विजेताखुदअपनेकोसाधकबतायाकरताथा
अबभूखकीताकतसेउसेझुकानामुश्किलथा
उसकाउपवासअकसरमुख्यखबरबनाकरताथा
अबत्यागकीशक्तिसेउसेडरानाकठिनथा
उसकादावाथा
अपनागाहर्स्थ्यसुखछोड़दियाउसनेमानवताकीसेवामें
कवियोंकोगुमानथाकिवेनकारसकतेहैंसत्ताधीशोंको
अपनीकविताओंमेंउन्हेंधूलचटासकतेहैं
परअबएकतानाशाहभीकविथा
सधेहुएकवियोंसेकहींज्यादा
बिकतीथींउसकीकिताबें
ख्यातिप्राप्तआलोचकोंनेसिद्धकियाथा
उसेअपनेसमयकाएकमहत्वपूर्णकवि
जाने-मानेविद्वानअबनौकरीकरतेथेउसकी.
न्यायमूर्ति-1
हेन्यायमूर्ति
दूरसेदेखतारहताहूंआपको
आपकेशब्दकानोंमेंगूंजतेहैं
आकाशवाणीकीतरह
आपहंसतेहैं
तोलगताहैपत्थरका
कोईदेवतामुस्कराउठाहो
आपजबकहतेहैं
सबकोन्यायदेंगे
तोमनभरआताहै
कैसेआऊंआपतकहेदेव
आपतकआनेकारास्ता
इतनाआसाननहीं
आपकोसबूतचाहिए
औरमेरेपाससचकेसिवाऔरकुछनहीं
सचकोसबूतमेंढालना
मेरेजैसोंकेलिए
एकयुद्धसेकमनहीं
सचऔरसबूतकेबीचएक
गहरीखाईहैश्रीमान
जिसमेंउड़तेरहतेहैंविशालडैनोंवालेकानूनकेपहरुए
जोसंविधाननहीं, सिक्कोंकीसेवामेंलगेरहतेहैं
आएदिनएकलड़कीसिर्फ
इसलिएजानदेदेतीहैकि
वहअपनेसाथहुएबलात्कारको
बलात्कारनहींसाबितकरपाती
एकआदमीखुलेआमभीड़केहाथों
माराजाताहै
परउसकीहत्या
कभीहत्यानहींसाबितहोपाती
मिलॉर्ड, मैंडरताहूं
किकहींमेरीबेडौलशक्लदेख
आपपूछनबैठें
मैंकिसदेशकावासीहूं
एकबूढ़ेपेड़नेदेखाहैमेराबचपन
औरएकनदीकोमालूमहैमेरापता
परक्याआपउनकीगवाहीमानेंगे?
न्यायमूर्ति-2
हेन्यायमूर्ति
जबआपकीआंखोंमेंआंसूदेखे
तोडरगया
लगाकि
किसीनेधक्का
देदियाहो
एकअंधेरीखाईमें
हालांकिआपसेहमारा
सीधा-सीधाकोईवास्तानहीं
परआपकोदेखकरभरोसाबनारहताहै
ठीकउसीतरहजैसेसूरजकोदेखकर
विश्वासबनारहताहैकि
हमारेजीवनमेंथोड़ीरोशनीतोरहेगी
आपकोरोतेदेख
सवालउठा
आखिरकौनहैजो
न्यायकोभीबनारहाअसहाय
हमारेइलाकेमें
सबकुछधीरे-धीरेआताहै
यहांदेरसेपहुंचीसड़क
देरसेपहुंचेबिजलीकेखंभे
देरसेपहुंचेस्कूलऔरअस्पताल
लेकिनअबतकनहींपहुंचासंविधान
कुछलोगकहतेहैंसविधानकारास्ता
रोकदियागयाहै
कुछकहतेहैंकिवहआचुकाहै
परहमारीआंखेंउसेदेखनहींपारहीं
हेन्यायमूर्ति
आपकीविकलतादेख
बहुतकुछसाफहोगया
समझमेंआगयाकिहमारेजीवनमें
अबतकइंद्रधनुषबनक्योंनहीं
उगपायासंविधान.
गऊजैसीलड़कियां
अबभीकुछलड़कियां
गऊजैसीहोतीथीं
हरबातमेंहांकहनेवाली
मौनरहकरसबकुछसहलेनेवाली
किसीभीखूंटेसेचुपचापबंधजानेवाली
हमारीसंस्कृतिमें
सुशीलऔरसंस्कारीकन्याओंके
यहीसबगुणबताएगएहैं
गऊजैसीलड़कियोंकेमां-बाप
गर्वसेबतातेथे
किउनकीबेटीगऊजैसीहै
वेनिश्चिंतरहतेथे
किउनकीनाकहमेशा
ऊंचीरहेगी
क्योंकिउनकीबेटीगऊजैसीहै
वेगऊजैसीलड़कियां
इतनीसीधीथींकि
समझनहींपातीथींकि
उनकेघरकेठीकबगलका
एकइज्जतदारआदमी
जिसेवहरोजप्रणामकरतीहैं
असलमेंएकशिकारीहैं
वेतोयहभीनहींभांपपातीथीं
किअपनेपतिकीनजरमेंवेदुधारूनहींहैं
उनकीदुनियाइतनीछोटीथी
किउन्हेंयहभीनहींपताहोताथा
किगायोंकीरक्षाकेलिए
गली-गलीमेंबनरहीहैंसेनाएं
जबउनमेंसेकिसीकेचेहरेपर
तेजाबफेंकाजाता
याकिसीपरकिरासनतेलउड़ेलाजाता
याकिसीकेकपड़ेफाड़ेजाते
तबवहगायकीतरहहीरंभातीथी
बसथोड़ीदेरकेलिए
गौरक्षकोंतकनहींपहुंच
पातीथीउसकीआवाज.
हत्यारे
हत्यारोंकोइतनासम्मान
पहलेकभीनहींमिलाथा
प्रकाशकउतावलेथेकि
हत्यारेकुछलिखें
आत्मकथाहीसही
उनकीकिताबेंबेस्टसेलरहोरहीथीं
उनकीकिताबकेलोकार्पणमें
वेनामचीनआलोचकभीपहुंचजायाकरतेथे
जिन्हेंअपनेआयोजनमेंबुलानेकेलिए
तरसजातेथेकविगण
हत्यारेकिसीहड़बड़ीमेंनहींरहतेथे
वेहमेशादिखतेथे
विनम्रऔरप्रसन्न
वेगली-मोहल्लोंमेंआरामसेघूमतेरहते
कभीभु्ट्टाखाते
कभीपतंगउड़ाते
बच्चोंकेसाथछुपन-छपाईखेलते
होलीदशहराईदजैसेपर्वोंमें
वेअक्सरसड़कपरझाड़ूलगाते
यापानीकाछिड़कावकरतेदिखजाते
अबहत्यारे
हत्याकरनेकेबादछुपतेनहींथे
वेनिकलतेथेअगलेदिनझुंडमें
मोमबत्तियांलिएहाथमें
हत्याकेविरोधमेंनारेलगातेहुए
जबमारेगएलोगोंकी
निकलरहीहोतीशवयात्रा
हत्यारेदिखजाते
आगे-आगेचलतेहुए
अर्थीकोकंधादिए
उन्हेंहत्याराकहनेकीभूलनकरें
आपसेइसकासबूतमांगाजासकताहै
आपमु्श्किलमेंपड़सकतेहैं.
बोलतीहुईचीजें
अबचीजेंआदमीसेज्यादा
मुखरऔरसक्रियथीं
वेइंसानसेएककदमआगेबढ़कर
फैसलेकररहीथीं
होसकताहैआपकिसीव्यक्तिसेमिलनेजाएंतो
अपनेस्वागतमेंमेजबानसेपहले
उसकेघरकेसोफेकोहिलताहुआपाएं
इसबातकीपूरीगुंजाइशहैकिवहसोफाहीतयकरेकि
आपकोमुलाकातकेलिएकितनावक्तदियाजाए
औरदीवारपरटंगीएकघड़ीयहफैसलाकरे
किआपकोचायमिलेयापानीपरहीटरकायाजाए
यहकाममेजबानकीकमीजभीकरसकतीहै
आपकीकमीजकाढंगसेमुआयनाकरनेकेबाद.
वैसेउसव्यक्तिसेमिलकरजानेकेबादभी
यहभ्रमबनारहसकताहै
किउसीसेमुलाकातहुई
याउसकेमोबाइलसे.
टूटतेघर
बेघरतोखैरबेघरथेही
जिनकेघरथे
उनमेंसेभीकई
अपनेघरकोघरनहींमानतेथे
कोईकहताथा
वहघरनहीं
पागलखानाहैपागलखाना
किसीकोअपनाघरमरुस्थलकीतरहलगताथा
जिसमेंकुछछायाएंकभी-कभारडोलतीनजरआतीथीं
अबघरोंमेंसुकूननहींथा
नींदनहींथी
एकआदमीनींदकीतलाशमें
घरसेनिकलकरएकपेड़केनीचेलेटजाताथा
घरमेंरोनातकमुश्किलथा
सिर्फरोनेकेलिएएकस्त्री
सड़ककेएकखंभेसेसटकरखड़ीहोजातीथी
जोघरबाहरसेदिखतेथे
चमकदार, सुसज्जित
वेअंदरसेझुलसेहुएथे
एकधक्केसेगिरसकतीथीउनकीदीवारें
घरटूटरहेथे
परकोईउन्हेंबचानेनहींआरहाथा
कोईऔरतघरबचानेकेलिए
अपनीहड्डीगलानेकोतैयारनहींथी
अपनेसपनेकोतंबूकीतरहतानकररहनाउसेमंजूरथा
परघरमेंरहकरबार-बारछलाजानानहीं
घरतहस-नहसहोरहेथे
औरबसभीरहेथे
नयाघरबसानेवालेभीआश्वस्तनहींथे
किउनकाघरकितनेदिनोंतकघरबनारहेगा
उन्हेंअपनी-अपनीउड़ानकीचिंताथी
वेजमीनमेंपैरधंसाकररहनेकोतैयारनहींथे.
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संजय कुंदन
संपर्क: सी-301, जनसत्ता अपार्टमेंट, सेक्टर-9, वसुंधरा, गाजियाबाद-201012(उप्र)
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संजय कुंदन
जन्म: 7 दिसंबर, 1969, पटना में
पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए.
संप्रति: हिंदी दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’, नई दिल्ली में सहायक संपादक
संपर्क: सी-301, जनसत्ता अपार्टमेंट, सेक्टर-9, वसुंधरा, गाजियाबाद-201012(उप्र)
मोबाइल: 09910257915