उदयन वाजपेयी के संपादन में प्रकाशित त्रैमासिक ‘समास’ साहित्य की कुछ गिनती की गम्भीर पत्रिकाओं में से एक है. इसके सोलहवें अंक (जुलाई-सितम्बर 2017) में हिंदी के महत्वपूर्ण उपन्यासकारों में से एक कृष्ण बलदेव वैद से उदयन की सुदीर्घ बातचीत प्रकाशित हुई है, वैद की डायरी के कुछ हिस्सों के साथ. यह डायरी ‘अब्र क्या चीज़ है? हवा क्या है?’ राजकमल से २०१८ में छप कर आ चुकी है.
इस दिलचस्प बातचीत में उदयन वैद से उनकी निर्मल वर्मा की मित्रता के विषय में भी पूछते हैं. वैद के शब्दों में यह दोस्ती १९८४ तक ‘पुरानी, परायी और किसी कदर कसैली’ हो चुकी थी’.
आलोचक-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने वैद की डायरी पर यह लेख लिखा है, इसका एक बड़ा हिस्सा इसी दोस्ती पर है.
पढ़ते हैं. हमेशा की तरह मोहक और मारक.
वैद की डायरी
डा य री का दर्पण
आशुतोष भारद्वाज