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Channel: समालोचन
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सबद भेद : अनुपस्थिति के साये (मुक्तिबोध ) : आशुतोष भारद्वाज

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स्मरण
गजानन माधव मुक्तिबोध                               
(१३ नवम्बर १९१७ – ११ सितम्बर १९६४)


मुक्तिबोध को दिवंगत हुए पांच दशक से अधिक हो गए हैं पर आज भी हिंदी कविता की चर्चा उनके ज़िक्र के बिना पूरी नहीं होती है. ११ सितम्बर को हम उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं.

मुक्तिबोध २० वीं सदी के हिंदी के बड़े कवि हैं. कविता ही नहीं आलोचना के क्षेत्र में भी उनका कार्य स्थायी महत्व का है.

आपने मुक्तिबोध की कविताओं में क्या कभी प्रेम की कुछ कविता पढ़ी हैं ? उनकी कविताओं में आश्चर्यजनक रूप से प्रेम कविताएँ लगभग अनुपस्थित हैं.


अंग्रेजी के पत्रकार और हिंदी के लेखक आशुतोष भारद्वाज ने मुक्तिबोध की कविताओं में प्रेम की अनुपस्थिति पर ख़ास समालोचन के पाठकों  के लिए यह लेख तैयार किया है. आशुतोष कुछ गिनती के अध्येताओं में है जो संजीदगी से लिखते हैं और हरबार कुछ नवोन्मेष लिए रहते हैं.     














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