बटरोही : हम तीन थोकदार (दस)
हम तीन थोकदार (दस)पनार घाटी का थोकदार जिम कॉर्बेट बटरोही ______________उन्नीसवीं सदी के जिन हलचल भरे दिनों में पहाड़ का हर पढ़ा-लिखा नौजवान अंग्रेजी पढ़कर गाँवों से शहरों और कस्बों की ओर...
View Articleथप्पड़, सिनेमा और मीना कुमारी : निशांत यादव
‘जब ज़ुल्फ़ की कालक में घुल जाए कोई राहीबदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता.’ ‘सहर से शाम हुई शाम को ये रात मिलीहर एक रंग समय का बहुत घनेरा है’प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी कवयित्री थीं, नाज़ उपनाम से...
View Articleरज़ा : जैसा मैंने देखा (२) : अखिलेश
सुप्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा (२२ फरवरी,१९२२–२३ जुलाई, २०१६) के व्यक्तित्व,कृतित्व और स्मृतियों पर आधारित श्रृंखला ‘रज़ा : जैसा मैंने देखा’ के इस दूसरे भाग में चित्रकार अखिलेश ने रज़ा के सौम्य और...
View Articleविष्णु खरे स्मृति : हरि मृदुल
(विष्णु खरे हरि मृदुल के साथ) विष्णु जी का प्रस्थान स्तब्ध करने वाला था. जो व्यक्ति अपने लेखन और अपने होने से साहित्य और विचारों की दुनिया को गहरे प्रभावित कर रहा था, देखते देखते उसकी मानवीय अनुपस्थिति...
View Articleकुँवर नारायण : कुमारजीव, स्मृति और संवाद : रेखा सेठी
‘कि उसमें विनम्र अभिलाषाएं होंबर्बर महत्त्वकांक्षाएं नहीं,’हिंदी के महत्वपूर्ण कवियों में से एक कुंवर नारायण का आज जन्म दिन है, कुंवर जी आज सशरीर होते तो ९३ वर्ष के होते. रेखा सेठी ने उनसे कुमारजीव...
View Articleस्मृति : भीमसेन त्यागी : मोहन गुप्त
कथाकार भीमसेन त्यागी पर यह स्मृति आलेख मोहन गुप्त ने लिखा है. इस आलेख में साहित्य,प्रकाशन और संघर्ष का पूरा एक युग समाया हुआ है. भीमसेन त्यागी को समझने में इस आलेख की केन्द्रीय भूमिका रहेगी. कोई कैसे...
View Articleमैनेजर पाण्डेय का आलोचना-संसार : रवि रंजन
मैनेजर पाण्डेय का आलोचना-संसाररवि रंजन शब्दानां विविनक्ति गुम्फनविधीनामोदते सूक्तिभिः सान्द्रं लेहि रसामृतं, विचिनुते...
View Articleबातन के ठाठ : ज्ञान चंद बागड़ी
‘बातन के ठाठ’ के लेखक ‘ज्ञान चंद बागड़ी’ राजस्थान के एक समुदाय की कथा बुनते है, ज़ाहिर तौर पर न यहाँ अस्मिता विमर्श है न स्त्री-वाद. लेकिन कहानी अंततः उस समुदाय की गरिमा और उसके अंतर्गत स्त्रियों के...
View Articleमैनेजर पाण्डेय का आलोचना-संसार : रवि रंजन
साहित्य ही नहीं समाज को भी निर्भय आलोचकों की जरूरत होती है. मैनेजर पाण्डेय अपनी आलोचना से ये दोनों कार्य करते हैं. उनके लिए साहित्य मनुष्यता में मनुष्य की रुचि का दस्तावेज़ है जो समाज में घटित होता...
View Articleमैनेजर पाण्डेय : आलोचना की विवेकपूर्ण यात्रा : कमलानंद झा
आलोचना भी रचना है, वह जिस कृति से सम्बोधित होती है उससे पार जाती है और बड़े सामाजिक–सांस्कृतिक संदर्भों में उसे देखती-परखती है. इस प्रक्रिया में उस रचना से अलग उसका भी एक व्यक्तित्व बनता जाता है....
View Articleमैनेजर पाण्डेय की उपस्थिति : प्रज्ञा पाठक और दयाशंकर शरण
हिंदी के अधिकतर आलोचक अध्यापक भी रहें हैं. आचार्य रामचंद्र शुक्ल,आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी,डॉ. रामविलास शर्मा,डॉ. नन्द दुलारे वाजपेयी, डॉ. नामवर सिंह, डॉ. नलिन विलोचन शर्मा, डॉ. विजयदेव नारायण...
View Articleमैनेजर पाण्डेय : 'बतकही'से 'साधना'तक : रवि भूषण
'बतकही'से 'साधना'तक रवि भूषण पिछले साल मैनेजर पाण्डेय की दो नयी पुस्तकें प्रकाशित हुईं - ‘बतकही’ तथा ‘शब्द और साधना’ (वाणी प्रकाशन). ‘बतकही’ उनसे लिये गये...
View Articleअखिलेश का रंग-रहस्य तथा कविताएँ : राकेश श्रीमाल
प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश (जन्म : २८ अगस्त, १९५६) हिंदी के समर्थ लेखक और अनुवादक भी हैं. मक़बूल फ़िदा हुसैन की जीवनी, मार्क शगाल की आत्मकथा का अनुवाद, तथा ‘अचम्भे का रोना’,‘दरसपोथी’,‘शीर्षक नहीं’ और...
View Articleमैनेजर पाण्डेय : 'बतकही'से 'साधना'तक : रविभूषण
अस्सीवें में पहुंच रहे मैनेजर पाण्डेय अपने लेखन में नियमित हैं. इधर पांच वर्षों में मेरे देखने में उनकी पांच किताबें प्रकाशित हुईं हैं- ‘लोकगीतों और गीतों में १८५७’, ‘मुग़ल बादशाहों की हिंदी...
View Articleगंगूबाई हंगल की स्वर-यात्रा : पंकज पराशर
गंगूबाई हंगलसघन आवेगमयी स्वर-उजास की विशुद्धतम सुर-शिखर पंकज पराशर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की परंपरा में यदि कोई मुसलमान गायक-वादक हुआ, मसलन उस्ताद अब्दुल करीम खाँ,...
View Articleरवीन्द्र के. दास की कविताएँ
Sculpturebyjesús Curiá.रवीन्द्र के. दास का पहला कविता संग्रह, ‘मुखौटा जो चेहरे से चिपक गया है’ २०१५ में प्रकाशित हुआ था. उनके चार कविता संग्रह तथा संस्कृत के ‘मेघदूतम्’ का ‘सुनो मेघ तुम’ शीर्षक से...
View Articleगंगूबाई हंगल की स्वर-यात्रा : पंकज पराशर
हिंदी समाज में वैसे तो साहित्य को लेकर भी कोई ख़ास उत्साह नहीं रहा है, पर कलाओं को लेकर तो बिलकुल ही नहीं. कविता,कहानी, उपन्यास, आलोचना आदि की किताबें फिर भी छपती रहती हैं पर...
View Articleप्रचण्ड प्रवीर : ऋजुता का ही विस्तार हैं सारी वक्रताएँ : आनन्द वर्धन द्विवेदी
प्रचण्ड प्रवीर के ‘उत्तरायण’ में मकर,कुम्भ, मीन, मेष,वृष, मिथुन तथा ‘दक्षिणायन’ में कर्क,सिंह,कन्या, वृश्चिक संक्रांति तथा धनु शीर्षक से कहानियां संकलित है. इधर प्रवीर ने उपनिषदों को आधार बनाकर...
View Articleमैं और मेरी कविताएँ (दस) : बाबुषा कोहली
“It is a test (that) genuine poetry can communicate before it is understood.” — T. S. Eliot (from the essay -Dante.) समकालीन महत्वपूर्ण कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के अंतर्गत आपने...
View Articleलेखन बुनियादी तौर पर अशुद्धता का वाहक है : मोहसिन हामिद (अनुवाद : यादवेन्द्र )
फरवरी २०१८ में पाकिस्तानी मूल के अंग्रेजी उपन्यासकार मोहसिन हामिद ने PEN इंटरनेशनल के कार्यक्रम में एक बेहद सारगर्भित और प्रासंगिक भाषण दिया था जिसके संपादित पाठ द गार्डियन समेत कई पत्रिकाओं ने...
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