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मीमांसा : एडोर्नो : अच्युतानंद मिश्र

एडोर्नो (Theodor W. Adorno, September 11, 1903 – August 6, 1969) बीसवीं सदी के प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज-वैज्ञानिक और संस्कृति- आलोचक हैं. वे ऐसे शायद पहले विचारक हैं जिन्होंने दर्शन और संगीत पर एक साथ...

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'क्या हुआ जो' : राहुल राजेश

राहुल राजेश का दूसरा कविता संग्रह 'क्या हुआ जो'इस वर्ष  ज्योतिपर्व प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशितहुआ है. इसी संग्रह से कुछ कविताएँ.राहुल राजेश कविता लिखते हुए अपने श्रोताओं को विस्मृत नहीं करते. उनकी...

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सबद भेद : जगदीश स्वामीनाथन की कविताओं का मर्म : अखिलेश

(by Jyoti BHATT, Portrait of J. Swaminathan, 1987)चित्रकार, कलाकार, विचारक और कवि जगदीश स्वामीनाथन (June 21, 1928 – 1994) का जन्म शिमला में बसे तमिल परिवार में हुआ था. वे कांग्रेस सोशलिष्ट पार्टी और...

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परिप्रेक्ष्य : बॉब डिलन : गीत चतुर्वेदी

(Kevin Winter, Getty Images)अमरीकी गीतकार और गायक बॉब डिलन (May 24, 1941) पिछले पांच दशकों से अपने लिखे गीतों से पूरी दुनिया को प्रभावित करते आ रहे हैं. गीतों को नया आयाम देने के लिए बॉब डिलन को २०१६...

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मीमांसा : नास्तकिता का अर्थात : संजय जोठे.

युवा समाज वैज्ञानिक संजय जोठे ने भारत में नास्तिकता के अर्थ,उसकी परम्परा और वर्तमान में उस पर हो रहे हिंसक हमलों पर यह सारगर्भित लेख लिखा है. यह लेख यह भी दिखाता है कि वर्तमान में धर्मों की यह जो भयानक...

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निज घर : मुकुल शिवपुत्र पर सीरज सक्सेना : पीयूष दईया

(मुकुल शिवपुत्र का गायन)मशहूर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक और कुमार गन्धर्व के पुत्र मुकुल शिवपुत्र किंवदन्ती में बदल गए हैं. उनकी मयनोशी और अपारम्परिक जीवन शैली के तमाम किस्से हवाओं में बिखरे हैं. पहली...

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सबद भेद : अदम गोंडवी की शायरी : संतोष अर्श

अदम गोंडवी (22अक्तूबर 1947- 18 दिसंबर 2011)हिंदी में दुष्यंत कुमार के बाद दूसरे सबसे प्रसिद्ध शायर हैं. उनकी गज़लों की धार बड़ी तेज़ और मारक है. आज़ादी के बाद की राजनीतिक विडम्बना  और सामाजिक विद्रूपता पर...

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सहजि सहजि गुन रमैं : विनोद पदरज

पेंटिग : लाल रत्नाकरहिंदी के वरिष्ठ कवि विनोद पदरज की कविताओं की दुनिया लुटते–पिटते-घिसटते जीवन की आपाधापी में मुब्तिला आम आदमी की दुनिया है. यह बच्चे जनती-पालती-दुलराती-खटती-मार खाती आम स्त्री की भी...

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सबद - भेद : अमृता प्रीतम : विमलेश शर्मा

अमृता प्रीतम (1919-2005)का लेखन बहुत विस्तृत है. उनकी कविताओं ने जहाँ पंजाबी कविताओं को पहचान दी वहीं उनके कथा लेखन में वह खुदमुख्तार स्त्री नज़र आती है जो स्त्रियों के तमाम प्रश्नों पर बेखौफ होकर मुखर...

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परख : हिजरत से पहले और ख़यालनामा (वन्दना राग)

वंदना रागके हाल ही में प्रकाशित कहानी संग्रहों 'हिजरत से पहले'और 'ख़यालनामा'से गुजरते हुए  अर्पण कुमार का  उनकी कथा – संवेदना पर यह आलेख  वन्दना राग : हिजरत से पहलेऔर ख़यालनामा...

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सहजि सहजि गुन रमैं : पंकज चतुर्वेदी की नयी कविताएँ

(पेंटिग : Salman Toor : Imaginary Multicultural Audience :2016पंकज चतुर्वेदी की कविताएँ राजनीतिक हैं, सभ्यता अब तक जहाँ पहुंची है उसके पक्ष में खड़ी हैं और उसे और विकसित होते देखने का सपना देखती हैं....

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लम्बी कविता : कादम्बरी : अतुलवीर अरोड़ा

पेंटिग : राजा रवि वर्माबाणभट्ट रचित कादम्बरी संस्कृत साहित्य की महानतम कृति है. उसे पहला उपन्यास भी माना गया है, मराठी भाषा में उपन्यास को कादम्बरी कहा जाता है. अतुलवीर अरोड़ा की लम्बी कविता कादम्बरी की...

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कालजयी (४) : गदल (रांगेय राघव)

पेंटिग : लाल रत्नाकररांगेय राघव_______________तिरुमलै नम्बाकम वीर राघवाचार्य  उर्फ रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) का रचनासंसार इतना विस्तृत और  बहुविषयक है कि भारतेंदु की रचनाशीलता की...

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कालजयी (४) : गदल : वर्जनाहीन स्त्री-चरित्र की गाथा : रोहिणी अग्रवाल

तिरुमलै नम्बाकम वीर राघवाचार्य  उर्फ रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) का रचनासंसार इतना विस्तृत और  बहुविषयक है कि भारतेंदु की रचनाशीलता की याद आती है,  उनकी किताबों की संख्या १५० बतायी...

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सहजि सहजि गुन रमैं : खगेन्द्र ठाकुर

(खगेन्द्र ठाकुर : फोटो मुसाफ़िर बैठा के सौजन्य से)खगेन्द्र ठाकुर (९-सितंबर,१९३७) : ______________अविभाजित बिहार (अब झारखण्ड) के गोड्डा के एक गाँव में जन्म. प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ाव और राजनीतिक...

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सहजि सहजि गुन रमैं : जसिन्ता केरकेट्टा

 जसिन्ता केरकेट्टा की कविताओं के संसार में आदिवासी समाज की अस्मिता की खोज है. विकास की विडम्बना, हिंसा और छल की पहचान है. आक्रोश की सबल स्वाभाविक अभिव्यक्तियाँ हैं. प्रकृति की उपस्थिति है पर बाज़ार और...

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कथा - गाथा : थर्टी मिनिट्स : विवेक मिश्र

पेशे से चिकित्सक विवेक मिश्र हिंदी के चर्चित कथाकार हैं. उनकी कहानी ‘थर्टी मिनिट्स’ को आधार बनाकर  येसुदास बीसीने ‘30 MINUTES’ फ़िल्म का निर्माण किया है जो अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली है....

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सबद भेद : महात्मा गाँधी का अधूरा भाषण : राजीव रंजन गिरि

आज से १०० साल पहले 4 फ़रवरी 1916 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के अवसर पर गाँधीजी अपना भाषण दे रहे थे. एनी बेसेंट, सदारत कर रहे दरभंगा महाराज और मंच पर बैठे तमाम गणमान्य लोगों को वह सम्बोधन...

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परख : रचना का सामाजिक पाठ (पंकज पराशर ) : जय कौशल

समीक्षा दो लोग पढ़ते हैं – खुद समीक्षक और दूसरा वह लेखक; जिसकी (कृति) समीक्षा की गयी है. कभी-कभी संपादक या/और प्रूफ रीडर भी पढ़ लेते हैं.हिंदी में समीक्षा निचले दर्जे की बौद्धिक सक्रियता समझी जाती है....

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सहजि सहजि गुन रमैं : अनुराधा सिंह

कृति : SUNIL GAWDE  अनुराधा सिंह की कविताएँ संशय की कविताएँ हैं.सबसे पहले वह लिखे हुए शब्दों को संदेह से देखती हैं कि क्या इसका अर्थ अभी भी बचा हुआ है. फिर वह प्रेम को परखती हैं कि यह कभी संभव हुआ भी...

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