परख : कोठागोई : मंगलमूर्ति'
प्रो. मंगलमूर्ति शिवपूजन सहाय के सुपुत्र हैं, अंग्रेजी के प्रोफेसर और हिंदी के रचनाकार भी. प्रभात रंजन की चर्चित पुस्तक, ‘कोठागोई’ की यह कोई रूटीन समीक्षा नहीं है. दरअसल इसमें मंगलमूर्ति ने अपने...
View Articleमीमांसा : आजादी, धर्म, देशभक्ति और राष्ट्रवाद : संजय जोठे
हिंदी के कवि धूमिल ने कभी पूछा था- “क्या आज़ादी सिर्फ़ तीन थके हुए रंगों का नाम हैजिन्हें एक पहिया ढोता हैया इसका कोई खास मतलब होता है?”आज़ादी ही नहीं धर्म और राष्ट्र को लेकर भी ऐसे प्रश्न पैदा हो रहे...
View Articleसहजि सहजि गुन रमैं : बाबुषा कोहली
बाबुषा कोहली की कविताएँ टु बी हैंग्ड टिल डेथ--------------------------( खुदाओं के नाम )एक और नई तारीख़ है यहजो कहीं दूर उफ़क़ से आ टपकी हैबालकनी में सुबह की...
View Articleकैसे भूल जाऊं मैं महादेवी वर्मा सृजन पीठ को ? : बटरोही
‘महादेवी वर्मा सृजन पीठ’ की स्थापना के पीछे ख्यात कथाकार बटरोहीके संघर्ष को हिंदी समाज याद रखेगा. इस बीच ‘पीठ’ पर ‘कब्जे’ का अपयश भी उन्हें भोगना पड़ा. आख़िरकार यह ‘पीठ’ भी व्यवस्था के तन्त्र में उलझकर...
View Articleहस्तक्षेप : गाय की पवित्रता का मिथ : संजय जोठे
समकालीन भारत की विडम्बनाओं में एक ‘गाय’ भी है, राजनीति ने इसे विद्रूप में बदल दिया है. गाय की पवित्रता की वैचारिक संरचना की शुरुआत कब से हुई, क्या यह ‘हिन्दूमत’ है या ‘बौद्ध’ और ‘जैन’ संक्रमण है या...
View Articleविष्णु खरे : कुछ भी अशुभ नहीं मंगली में
साहित्य और हिंदी फिल्मों में भी विज्ञान-कथाओं की कोई संतोषजनक स्थिति नहीं है. मंगल ग्रह जहाँ पानी की संभावना के लिए चर्चा में है वहीँ रिड्ले स्कॉट की फिल्म ‘’द मार्शन’’‘नेसा’ से अपने सम्बन्धों को लेकर...
View Articleस्वेतलाना एलेक्सिएविच ( साहित्य के २०१५ का नोबेल पुरस्कार ) : साक्षात्कार
फोटो : साभार M. Kabakova8अक्टूबर 2015को साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद स्वेतलाना एलेक्सिएविच के साथ जूलिया ज़ाका का टेलीफोन साक्षात्कार. रूसी भाषा में बातचीत का वाया इंग्लिश यह हिंदी अनुवाद...
View Articleलेखक क्यों लौटा रहे हैं अपने साहित्य अकादेमी सम्मान ?
'एक कवि और कर ही क्या सकता हैसही बने रहने की कोशिश के सिवा.'-----------------------------------------------वीरेन डंगवालप्रभात (प्रभात ने साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित अपनीपुस्तक'अपनों में नहीं रह...
View Articleरवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘नाइटहुड’ सम्मान लौटते हुए क्या कहा था ?
आज यह सवाल किया जा रहा है कि विगत की घटनाओं के विरोध में साहित्यकारों ने अपने पुरस्कार या सम्मान क्यों नहीं लौटाएं. इतिहास गवाह है कि जब-जब मनुष्यता पर हमला हुआ है, साहित्यकारों ने कलम के अलावा विरोध...
View Articleजब समाज बचेगा, तब साहित्य भी बच जायेगा : विमल कुमार
साभार; वागीश झादेश में बढती वैचारिक कट्टरता और हिंसक साम्प्रदायिकता के खिलाफ लेखकों का यह अखिल भारतीय जुटाव ऐतिहासिक है. साहित्य के इतिहास में साझे सरोकारों को लेकर यह एकजुटता भक्ति काल (लगभग १३५० से...
View Articleसार्त्र ने नोबेल पुरस्कार लौटाते हुए क्या कहा था ?
भारत में बढती वैचारिक असहिष्णुता और फैलती धार्मिक कट्टरता के प्रतिपक्ष में लेखकों और कलाकारों के सम्मान लौटाने की ‘सक्रियता’ से जहाँ कुछ लोग असहज महसूस कर रहे हैं वहीँ कुछ इस सक्रियता के पीछे के कारकों...
View Articleआजादी और विवेक के हक़ में प्रतिरोध सभा
आजादी और विवेक के हक़ में आज (20/10/15)) प्रेस क्लब में देश के सात प्रमुख लेखक संगठनों जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, दलित लेखक संघ, प्रेस क्लब आफ इंडिया, साहित्य...
View Articleसहजि सहजि गुन रमैं : प्रदीप मिश्र
‘क्या अँधेरे वक्त में गीत गाये जायेंगेहाँ, अँधेरे के बारे मेंगीत गाये जायेंगे.’ (बर्तोल्त ब्रेख्त)साहित्यकार अपनी रचनाओं के द्वारा सतत संघर्ष में है, गाहे–ब-गाहे प्रतिपक्ष के अन्य मोर्चों पर भी सक्रिय...
View Articleविष्णु खरे : साहित्य अकादेमी का क्रांतिकारी संकल्प
२३/१०/२०१५ को साहित्य अकादेमी के कार्यकारी मंडल ने लेखकों - कलाकारों के विरोध प्रदर्शन के बीच अपना प्रस्ताव पारित किया. वरिष्ठ लेखक – आलोचक विष्णु खरेइस प्रस्ताव को अकादमी के इतिहास में ‘अभूतपूर्व’ बता...
View Articleमेघ - दूत : ख़ोर्ख़े लुई बोर्खेज़ (The Circular Ruins)
अर्जेंटीना के कवि, लेखक और अनुवादक ख़ोर्ख़े लुई बोर्खेज़ (Jorge Luis Borges) स्पेनी (Spanish) साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रख्रते हैं.कहानी 'The Circular Ruins' ( Las ruinas circulares) का प्रकाशन...
View Articleपरख : फाँस (संजीव): राकेश बिहारी
वरिष्ठ कथाकार संजीव का उपन्यास ‘फाँस’ भारतीय कृषक समाज की वर्तमान दारुण दशा पर केन्द्रित है. बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या पूरे तंत्र पर सवालिया निशान है. समस्या जितनी विकट है सहित्य में उसका...
View Articleविष्णु खरे : एक जन्मशती की भ्रूणहत्या
हिंदी सिनेमा की महान हस्ती ‘किशोर साहू’ के महत्वकांक्षी जन्मशती समारोह के लिए किये गये प्रयासों का यह हस्र होगा किसी ने सोचा न था. यह पूरा प्रकरण किसी खोजी उपन्यास से कम हैरतंगेज़ नहीं और परिणति जैसे...
View Articleपरख : छोटू उस्ताद (कहानी संग्रह) : स्वयं प्रकाश
छोटूउस्ताद(कहानीसंग्रह)स्वयंप्रकाशकिताबघरप्रकाशन, दिल्लीमूल्य- 200/- कहानीमेंअपनेसमयकीविडम्बनाएं...
View Articleबोली हमरी पूरबी : प्रफुल्ल शिलेदार (मराठी कविताएँ )
‘लाख के घर बनाकर लेखक को बुलावा भेजते हैं.’हिंदी के सह्रदय पाठक दूसरी भाषाओँ के कच्चे-पक्के अनुवादों से भारतीय कविता के परिदृश्य को देखते –समझते रहते हैं. मराठी साहित्य प्रारम्भ से ही हिंदी साहित्य को...
View Articleसबद भेद : द्विवेदी-अभिनन्दन-ग्रन्थ’ : एक पूरक टिपण्णी : मंगलमूर्ति
हिंदी साहित्य में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी नाम से एक युग है, ज़ाहिर सी बात है द्विवेदी जी का योगदान युगांतकारी है. उनके सम्मान में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने १९३३ में 'आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी...
View Article