पटना की हिंदी पत्रकारिता : राजू रंजन प्रसाद
जिसे हम आज़ादी का संघर्ष कहते हैं और जो १९४७ में प्रतिफलित हुआ उसके पीछे लम्बा प्रेरणादायी नवजागरण काल है. हर बड़े राजनीतिक संघर्ष से पहले ज्ञानात्मक उभार और प्रसार का काल होता है. भारत में हिंदी...
View Articleसबद भेद : कुमार अम्बुज : मानवीय सरोकारों की प्रतिबद्धता : मीना बुद्धिराजा
यह समझना चाहिए कि कविता कौतुक नहीं है. जहाँ बहुत कला होती है वहाँ अर्थ महीन होकर लगभग अदृश्य हो जाता है, अंतत: कवि-कर्म एक मानवीय गतिविधि है जिसमें मनुष्यता निवास करती है. उदात्तता का उसका एकपक्ष हमेशा...
View Articleमिलना : क्रमिक विकास की कविता : आशीष बिहानी
(कात्सुशिका होकुसाई ,जापान की १८३२ पेंटिंग "कानागावा-ओकी नामी ऊरा")आशीष बिहानी ‘कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र’ (CCMB), हैदराबाद में जीव विज्ञान में शोध कार्य कर रहें हैं और हिंदी के कवि हैं....
View Articleशोध : गोदान और मैला आँचल : आलोचना के अँधेरे : मनीष
मनीष दिल्ली विश्वविद्यालय में शोध अध्येता हैं, वे वर्तमान में ‘फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य में भूमि, जाति एवं राजनीति का अन्तःसंबंध’ विषय पर शोधकार्य कर रहे हैं. यह दिलचस्प आलेख आपके लिए. इसमें उन्होंने...
View Articleसहजि सहजि गुन रमैं : ज्योति शोभा
ज्योति शोभा अब हिंदी कविता में एक जाना पहचाना नाम है, लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में वे इधर प्रकाशित हुईं हैं. वर्षों के बाद हिंदी कविता में कोलकाता का अपना खुद का रंग जेनयुई ढंग से सामने आया है. जिस तरह...
View Articleआश्चर्यवत् (कविता - संग्रह) : मोनिका कुमार : प्रचण्ड प्रवीर
मोनिका कुमार का पहला कविता संग्रह ‘आश्चर्यवत्’ इस वर्ष वाणी प्रकाशन द्वारा रज़ा फ़ाउंडेशन के सहयोग से ‘प्रकाश-वृत्ति’ के अंतर्गत’ प्रकाशित हुआ है. इसकी भूमिका वागीश शुक्ल ने लिखी है. इस स्मृति-योजना के...
View Articleकथा-गाथा : सफ़ेद रौशनी वाली खिड़की :अणु शक्ति सिंह
पत्रकार और लेखिका अणु शक्ति सिंह की यह कहानी आकार में छोटी भले ही हो असर गहरा करती है. अकेलेपन और उदासी की सफ़ेद रौशनी से यह कहानी एक स्त्री के आस पास बुनी गयी है. कहानी सफ़ेद रौशनी वाली खिड़की...
View Articleभाष्य : रामपुर बाग़ की प्रेम कहानी (वीरने डंगवाल) : सदाशिव श्रोत्रिय
(Photo by Rohit Umrav)वीरेन डंगवाल की सम्पूर्ण कविताएँ, ‘कविता वीरेन’ के ‘असंकलित और नयी कविताएँ’खंड में एक कविता है ‘रामपुर बाग़ की प्रेम कहानी.’यह कविता कहानी है पर्यावरण विनाश और उसमें विनष्ट हो रही...
View Articleमेघ-दूत : पाउला (इसाबेल एलेंदे) : यादवेन्द्र
पेशे से वैज्ञानिक और हिंदी के लेखक-अनुवादक यादवेन्द्र ने महत्वपूर्ण लैटिन अमेरिकी लेखक इसाबेल एलेंदे की चर्चित कृति "पाउला"के कुछ हिस्सों का अनुवाद किया है. आपके लिए आज यही. दो साल पहले जीवन के 75...
View Articleपरख : गांधीवाद रहे न रहे : आनंद पांडेय
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और दर्शन पर अध्येताओं की दिलचस्पी कहीं से भी कम नहीं हुई है चाहे देश हो या विदेश. सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, समन्वय, समानता और प्रेम जैसे मूल्य मनुष्यता के मूल्य हैं...
View Articleकपिलदेव त्रिपाठी की कविताएँ
(पेंटिग : Ahmed Morsi (Black Bird II)कपिलदेव त्रिपाठी के अनुसार ‘सार्वजनिक उपक्रम से सेवा मुक्त होने के बाद इधर कुछ दिनों से जब-तब कविता के शिल्प में अपने को व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूँ.’...
View Articleमंगलाचार : वसु गन्धर्व
कविताएँ दरअसल अँधेरे में रौशन दीये हैं. अपनी मिट्टी से अंकुरित सौन्दर्य और विवेक की लौ. इसी संयमित प्रकाश में मनुष्यता लिखी गयी है. यह आलोक जहाँ-तहां आज भी बिखरा है, हाँ ‘लाईट’ की अश्लीलता और शोर में...
View Articleभूमंडलोत्तर कहानी – 22 : समलैंगिकता विकल्प नहीं प्रकृति है : राकेश बिहारी
समकालीन कथा-साहित्य पर आधारित स्तंभ ‘भूमंडलोत्तर कहानी’ की २२ वीं कड़ी में आलोचक राकेश बिहारी ‘रश्मि शर्मा’ की कहानी ‘बंद कोठरी का दरवाज़ा’ की चर्चा कर रहें हैं. यह कहानी समालोचन पर ही प्रकाशित हुई थी...
View Articleपरख : बदलता गाँव बदलता देहात : नयी सामाजिकता का उदय (सतेंद्र कुमार) : नरेश...
भारत के गाँव-देहात अब ‘गोदान’, ‘मैला आँचल’ और ‘राग दरबारी’ के गाँव देहात नहीं रह गए हैं. सतेंद्र कुमार ने नई अर्थव्यवस्था, शहरीकरण और तकनीक के प्रभावों का समाजशास्त्रीय अध्ययन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के...
View Articleएमोस ओज : दो औरतें : यादवेन्द्र
साल ने जाते-जाते मशहूर इस्राइलीउपन्यासकार और पत्रकार ‘एमोस ओज’ Amos Oz (4 May 1939 – 28 December 2018) को हमसे छीन लिया. वह क्या थे और उनका लेखन किस तरह का था, बता रहें हैं वरिष्ठ लेखक और अनुवादक...
View Articleनया साल मुबारक : शफी अय्यूब
‘स्वागत हर्ष के साथ नव वर्ष कारहे अमन आदम की बस्तियों में न्याय हो अधिक अधिक करुणासौन्दर्यबोध होकलाएं मनुष्यता की औरविकसित हो धरती के सभी निवसियों में साथ रहने की उदारता.इसी के साथ ही आप सभी का नव...
View Articleमैं और मेरी कविताएँ (१) : आशुतोष दुबे
“The poet doesn’t invent. He listens.” Jean Cocteauकवि अपनी कविताओं या कविता के विषय में क्या सोचते हैं ? इस रचनात्मक जिज्ञासा के साथ समालोचन यह स्तम्भ...
View Articleपरिदृश्य : बेगूसराय में रंगोत्सव : सत्यदेव त्रिपाठी
जिस नगर में कुछ अच्छे कवि-शायर, थोड़े से कथाकार कुछ सुनने लायक बौद्धिक जनवादी विचारक, विवेकवान पत्रकार तथा एकाध नाट्य समूह और थोड़े से कलावंत न हों वहाँ नहीं निवास करना चाहिए. बिहार के बेगूसराय जैसी जगह...
View Articleउपन्यास के भारत की स्त्री (एक) : आशुतोष भारद्वाज
( by Rabindranath Tagor)उपन्यासों को आधुनिक युग का महाकाव्य कहा जाता है. आधुनिकता, जनतंत्र और राष्ट्र-राज्यों के उदय से उनका गहरा नाता है, स्त्रियों की सामजिक गतिशीलता के बगैर उपन्यास संभव नहीं होते....
View Articleपरख : राकेश बिहारी (ग़ौरतलब कहानियाँ): मीना बुद्धिराजा
कथा-आलोचक राकेश बिहारी हिंदी के समर्थ कथाकार भी हैं. उनकी ग़ौरतलब कहानियाँ की चर्चा कर रहीं हैं समीक्षक मीना बुद्धिराजा.राकेश बिहारी : ग़ौरतलब कहानियाँनयी सदी की कथा का बदलता चेहरा...
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