सबद भेद : असहमति का रूपक : आशुतोष भारद्वाज
वर्चस्व की सभी सत्ताओं के समानांतर प्रतिरोध और असहमति का प्रति संसार भी है. लम्बे अंतराल में उनके रूप बदल गए, वे अब रूपकों के रूप में सुरक्षित हैं. परिवार,समाज,धर्म, राज्य की इन सत्ताओं के प्रतिरोध की...
View Articleरसा : हरजीत सिंह : शेर और ग़ज़लें
आपने हरजीत सिंह का नाम सुना होगा ? यह शेर सुना होगा –आईं चिड़िया तो मैंने यह जानामेरे कमरे में आसमान भी थाहिंदी शायरी केवल दुष्यंत कुमार तक ठिठकी हुई नहीं है. वह अपने रास्ते आगे बढ़ रही है. हरजीत सिंह...
View Articleस्त्री -चेतना : अज्ञात हिंदू महिला: रोहिणी अग्रवाल
भारतेंदु काल में लेखिका ‘एक अज्ञात हिन्दू महिला’ 'सीमंतनी उपदेश' (1882) लिखती हैं जो उस समय की सोच से आगे की रचना थी. यह किताब एक सदी तक विलुप्त रही. डॉ. धर्मवीर के प्रयास से 1984में यह प्रकाशित हुई....
View Articleसहजि सहजि गुन रमैं : राजेश जोशी
राजेश जोशी पिछले चार दशकों से हिंदी कविता में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए हुए हैं, सार्थक बने हुए हैं. कोई लगातार अच्छी कविताएँ कैसे लिख सकता है ? यह काव्य- यात्रा अपने समय में गहरे घंस कर तय की गयी...
View Articleभाष्य : राजेश जोशी की कविता और बिजली : सदाशिव श्रोत्रिय
राजेश जोशी के दूसरे कविता संग्रह‘एक दिन बोलेंगे पेड़’(१९८०) में एक कविता संकलित है ‘बिजली सुधारने वाले’.सदाशिव श्रोत्रिय ने इस कविता पर यह टिप्पणी भेजी है जो कविता के अर्थ और आलोक का विस्तार करती...
View Articleसबद भेद : प्रतिरोध और साहित्य : कात्यायनी
(फोटो द्वारा - Constantine Manos)साहित्य से सत्ता (धर्म, राज्य, समाज, परिवार) के तनावपूर्ण सम्बन्धों को देखा-समझा जाता रहा है, उसकी भूमिका और उसके महत्व पर भी लिखा गया है. २१ वीं सदी के भारत में...
View Articleमेघ - दूत : सातवाँ आदमी - हारुकी मुराकामी : सुशांत सुप्रिय
जापानी भाषा के ख्यात कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानी ‘The Seventh Man’ का हिंदी अनुवाद सुशांत सुप्रिय ने किया है. यह हिंदी अनुवाद ‘फ़िलिप गैब्रिएल’ और ‘जे रूबिन’ के जापानी से अंग्रेज़ी में किए गए...
View Articleलल्द्यद के ललवाख : अग्निशेखर
लगभग चार महीने पहले वेदराही के उपन्यास ‘ललद्यद’ की योगिता यादव द्वारा लिखी समीक्षा समालोचन पर प्रकाशित हुई थी. उस समय यह विचार हुआ था कि उनकी कविताओं (‘वाखों’) के मूल कश्मीरी से हिंदी में अनुवाद...
View Articleकेदारनाथ सिंह का जाना
केदारनाथ सिंह का जाना ‘जब कोई कवि मरता हैपृथ्वी परसबसे पहले छलकती हैईश्वर की आँख.’(एक अरबी कविता, द्वारा उदय प्रकाश)
View Articleबाबुषा : पूर्व-कथन
कविता भाषा में लिखी जाती है, भाषा समुदाय की गतिविधियों के समुच्चय का प्रतिफल है. उसमें स्मृतियों से लेकर सपने तक समाएं हुए हैं. दार्शनिक इस सामुदायिक गतिविधियों के प्रकटन के केंद्र की तलाश करते हैं,...
View Articleभाष्य : पतंग (आलोकधन्वा) : सदाशिव श्रोत्रिय
१९७६ में लिखी गयी ‘पतंग’ कविता आलोकधन्वा के एकमात्र संग्रह ‘दुनिया रोज़ बनती है’ (प्रकाशन -१९९८) में संकलित है. यह आलोकधन्वा की कुछ बेहतरीन कविताओं में से एक है, जो कई जगह पाठ्य-पुस्तकों में भी शामिल...
View Articleकेदारनाथ सिंह : सौन्दर्यात्मक संवेदनशीलता की कविता : रवि रंजन
केदारनाथ सिंह की मानवीय उपस्थिति और उनके कवि-–कर्म का हिंदी साहित्य पर पड़े गहरे प्रभाव को लक्षित किया जाता रहा है. अब जब वह नहीं हैं उनकी कविताएँ हमारे आस- पास और मुखर हो उठी हैं. वह बीसवीं सदी के...
View Articleरुस्तम की कुछ और कविताएँ
कुछ कवि हमेशा ऐसे होते हैं जो आपको विचलित कर देते हैं. यह विचलन बहुत गहरा होता है, चुप्पा-आत्म और मुखर-अस्तित्व दोनों को झकझोर देते हैं. यह विस्मित ही करता है कि रुस्तम जैसा कवि हिंदी में पिछले कई...
View Articleपरख : क़िरदार (मनीषा कुलश्रेष्ठ)
कहानी संग्रह - क़िरदार लेखिका- मनीषा कुलश्रेष्ठ प्रकाशक- राजपाल एण्ड संन्ज़, दिल्ली मूल्य- रू- 195 प्रथम संस्करण-2018समीक्षाबदलते वक्त के रू-ब-रू क़िरदारमीना बुद्धिराजायथार्थ का वर्णन...
View Articleस्पिनोज़ा : नीतिशास्त्र - ५ – (अनुवाद : प्रत्यूष पुष्कर, प्रचण्ड प्रवीर)
17 veen शताब्दी के महान मीमांसक, प्रत्यक्षवादी दर्शनिक स्पिनोज़ा (24 November 1632– 21 February 1677) का प्रत्यक्ष प्रभाव १८ वीं सदी के यूरोपीय पुनर्जागरण पर रहा है. उनकी कृति 'नीतिशास्त्र' (1677)...
View Articleमहेश वर्मा की कविताएँ
महेश वर्मा का पहला कविता संग्रह ‘धूल की जगह’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. २१ वीं सदी की हिंदी कविता के वह एक प्रमुख कवि हैं.नींद और रात को लेकर उनकी कुछ नई कविताएँ प्रस्तुत हैं....
View Articleसबद भेद : विद्रोही की काव्य-संवेदना और भाषिक प्रतिरोध : संतोष अर्श
कवि विद्रोही सालों तक अपनी कविता को ओढ़ते – बिछाते रहे. जिस तरह से उनके जीवन का कोई मध्यवर्गीय अनुशासन नहीं था उसी तरह से अपनी कविताओं को भी उन्होंने इस धरती और आकाश के बीच खुला और अकेला छोड़ दिया था. वह...
View Articleकथा- गाथा : क से ‘कहानी’ ज से ‘जंगल’ घ से ‘घर’ : कविता
by Cristina Arrivillagaकविता का नाम हिंदी कथाकारों में सम्मान के साथ लिया जाता है. उनके पांच कहानी संग्रह और दो उपन्यास प्रकाशित हैं. उनकी इस नई कहानी में व्यर्थताबोध और सृजनात्मकता के संकट से जूझते...
View Articleमति का धीर : राहुल सांकृत्यायन : विमल कुमार
आज राहुल सांकृत्यायन जीवित रहते थे तो अपना १२५ वाँ जन्म दिन मना रहे होते. पर जब वह आज नहीं हैं (और इतना लम्बा भौतिक जीवन संभव भी नहीं है) क्या हिंदी समाज को उनका यह जन्म दिन किसी जातीय समारोह की तरह...
View Articleनिज घर : राकेश श्रीमाल
राकेश श्रीमाल की रचनात्मकता के वृत्त में कविता, कथा, कला, संपादन, पत्रकारिता सब एक दूसरे में घुले मिले हैं. उपन्यास लिखते –लिखते कविताएँ लिखने बैठ जाते हैं, तो कभी इनके बीच सृजनात्मक गद्य के तमाम...
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